कविता वह मकरंद है,
जिससे तितलियाँ अपनापेट भरती हैं !
कविता निर्मल निर्झर है,
नहाती हैं जिसमें
सपनों की परियाँ !
कविता वह चंदनवृक्ष है,
नहीं सताता भय जिसे
विषधरों का !
कविता जीवनकथा है,
कुछ खुशी, कुछ व्यथा है
कही - अनकही !
कविता से शब्दों के पंख ले,
उम्मीदों के आतुर पंछी
नापते हैं आसमां !
कविता नीला वितान है,
'चिड़िया' की उड़ान है
चहक भरी !
कविता शीतल ज्योत्सना है,
पाते हैं विश्राम जिसमें
सुलगते मन !
कविता स्वयं अपना परिचय है,
शब्दों पर भावनाओं की
विजय है !!!
........सभी ब्लॉगर साथियों को नववर्ष 2018 की हार्दिक शुभकामनाएँ......
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