बुधवार, 3 जनवरी 2018

कविता वह मकरंद है.....

कविता वह मकरंद है,
जिससे तितलियाँ अपना
पेट भरती हैं !

कविता निर्मल निर्झर है,
नहाती हैं जिसमें
सपनों की परियाँ !

कविता वह चंदनवृक्ष है,
नहीं सताता भय जिसे
विषधरों का !

कविता जीवनकथा है,
कुछ खुशी, कुछ व्यथा है
कही - अनकही !

कविता से शब्दों के पंख ले,
उम्मीदों के आतुर पंछी
नापते हैं आसमां !

कविता नीला वितान है,
'चिड़िया' की उड़ान है
चहक भरी !

कविता शीतल ज्योत्सना है,
पाते हैं विश्राम जिसमें
सुलगते मन !

कविता स्वयं अपना परिचय है,
शब्दों पर भावनाओं की
विजय है !!!

........सभी ब्लॉगर साथियों को नववर्ष 2018 की हार्दिक शुभकामनाएँ......

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें