मंगलवार, 27 नवंबर 2018

बुलाता है कोई !


ना जाने किसकी है आवाज,
बुलाता है कोई !!!

ना है सूरत का पता
और ना ही सीरत का,
फिर भी मन पर मेरे
अधिकार जताता है कोई !
ना जाने किसकी है आवाज,
बुलाता है कोई !!!

बारहा मखमली सुरों में
सुन रही हूँ मैं,
अनुराग भरी बांसुरी की
मद्धिम धुन !!!
भटकती हूँ तलाश में
उसी आवाज की मैं,
अपनी ही सुरभि से मदहोश 
ज्यों कस्तूरी हिरन !

ना जाने कौनसी ताकत
कहाँ - कहाँ पर है,
नजर न आए मुझे
फिर भी खींचता है कोई ।
ना जाने किसकी है आवाज,
बुलाता है कोई !!!

नहीं मिला जो ढूँढ़ने से
सारी दुनिया में,
आज अंतर से क्यूँ
पुकार लगाता है कोई ।
ना जाने किसकी है आवाज,
बुलाता है कोई !!!

अभी मौसम तो नहीं
गुलमोहर के खिलने का,
और वादा भी तो, ना था
किसी से मिलने का !
अभी तो रात थी
सुबह भी नहीं आई थी,
हवा ने छेड़कर फूलों को
कोई रागिनी ना गाई थी !

वक्त की उँगलियों ने
तार कौन से छेड़े ?
आज मन का मेरे
सितार बजाता है कोई ।
ना जाने किसकी है आवाज,
बुलाता है कोई !!!
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बुधवार, 21 नवंबर 2018

एक बार फिर !!!

शून्य से जाना शिखर तक, एक बार फिर !!!
आज जुड़ना है बिखरकर, एक बार फिर !!!

फिर हथेली पर खुशी के बीज बोने-सींचने हैं
फूल उम्मीदों के, खिलते देखना है फिर !!!

डूबकर गहरे समंदर, मोतियों को ढूँढ़ना है
स्याह रातों में उजाला खोजना है फिर !!!

चाह में तारों को छूने की,जले हर बार हाथ
जिद अभी भी, एक तारा तोड़ना है फिर !!!

चाँद - तारों का तो नाता, रात से हरदम रहा
रात का ख्वाबों से रिश्ता जोड़ना है फिर !!!

रेत के घर को तो ढहना था, ढहा, अच्छा हुआ
अब समंदर के किनारे खेलना है फिर !!!

हम परिंदे भाँप लेते हैं हवा की नीयतों को
आज तूफां के इरादे, जानना है फिर !!!

गर्म लावा खदबदाता है कहीं दिल की जमीं में
आग के दरिया के रुख को मोड़ना है फिर !!!









मंगलवार, 13 नवंबर 2018

तुम रहो ना, पास यूँ ही !!!

बीत जाए ज़िंदगी का,
ना कहीं मधुमास यूँ ही !!!
तुम रहो ना, पास यूँ ही ।।

बरसने दो नेह को,
आँखों के बादलों से तुम !
हूँ अभी ज़िंदा, मुझे
होता रहे आभास यूँ ही !
तुम रहो ना, पास यूँ ही।।

बँध गए अनुबंध के धागे,
तो रहने दो बँधे !
प्रीत के पाखी को उड़ने
दो खुले आकाश यूँ ही !
तुम रहो ना, पास यूँ ही।।

कह गईं बातें हजारों
एक खामोशी तेरी !
रह गए दिल में सिहरकर
कुछ मेरे जज्बात यूँ ही !
तुम रहो ना, पास यूँ ही।।

भर गया खुशबू से दामन
इक तेरी मौजूदगी से !
खूबसूरत इन लम्हों का,
दिल में हो अहसास यूँ ही !
तुम रहो ना, पास यूँ ही।।

कौन जाने इस जनम,अब
हम मिलें या ना मिलें !
तेरी यादों के सहारे,
काट लूँ वनवास यूँ ही !
तुम रहो ना, पास यूँ ही।।