शनिवार, 13 मार्च 2021

मुस्कुराए भर थे हम तो...


मुस्कुराए भर थे हम तो
देखकर उनकी तरफ,
बात थी छोटी सी, मगर
बन गई कहानियाँ !
       मुस्कुराए भर थे हम तो....

उम्र तो बस उम्र थी,
बीतती चली गई।
बचपना अब भी वही,
अब भी वही नादानियाँ !
       मुस्कुराए भर थे हम तो.....

ग़र्द उस शीशे पे जाने
कब से है जमी हुई,
है नहीं आसां मिटाना
वक्त की निशानियाँ !
       मुस्कुराए भर थे हम तो.....

बादलों से फिर झरेंगे
गीत मेरे इश्क के,
सूखते दरिया में होंगी
फिर वही रवानियाँ !
       मुस्कुराए भर थे हम तो.....

हर बरस बरसेगा सावन
ये बरस लौटेगा कब ?
लौटकर आती नहीं
गुजरी हुई जवानियाँ !
       मुस्कुराए भर थे हम तो......