ज़िंदगी की तल्खियाँ, कुछ यूँ छुपाईं दोस्तों
दर्द की स्याही से लिख, गीतों में गाईं दोस्तों !
डूबना था कागजों की कश्तियों को एक दिन
वक्त से पहले किसी ने, क्यों डुबाईं दोस्तों !
कह गया कुछ राज की बातें, मेरा नादान दिल
अब लगे, उस अजनबी को क्यों सुनाई दोस्तों !
कुछ तड़प,कुछ बेखयाली और कुछ गफलत मेरी,
उफ ! मोहब्बत नाम की, आफत बुलाई दोस्तों !
अपनी साँसों का गला, घोंटा किए हर एक पल
दिल लगाने की सज़ा, इस तरहा पाई दोस्तों !
यूँ लबों को मुस्कुराने की, ये आदत डाल दी
बहती आँखें, क्यों किसी को दें दिखाई दोस्तों !
दर्द की स्याही से लिख, गीतों में गाईं दोस्तों !
डूबना था कागजों की कश्तियों को एक दिन
वक्त से पहले किसी ने, क्यों डुबाईं दोस्तों !
कह गया कुछ राज की बातें, मेरा नादान दिल
अब लगे, उस अजनबी को क्यों सुनाई दोस्तों !
कुछ तड़प,कुछ बेखयाली और कुछ गफलत मेरी,
उफ ! मोहब्बत नाम की, आफत बुलाई दोस्तों !
अपनी साँसों का गला, घोंटा किए हर एक पल
दिल लगाने की सज़ा, इस तरहा पाई दोस्तों !
यूँ लबों को मुस्कुराने की, ये आदत डाल दी
बहती आँखें, क्यों किसी को दें दिखाई दोस्तों !
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