सोमवार, 17 अगस्त 2020

प्रभु ! सखा को नातो राखिए

ज्यों अर्जुन को रथ हांक्यो

प्रभु मेरी भी गाड़ी हांकिए

गोपिन को माखन चाख्यो 

मेरी रूखी सूखी चाखिए।


लाल कहूँ, गोपाल कहूँ,

नंदलाल कहूँ, क्या नाम धरूँ

मेरो कोई सखा नहीं प्रभु

सखा को नातो राखिए।


करूँ समर्पण क्या मैं तोहे

योग्य तिहारे कछु ना पाऊँ,

मैं अति दीन हीन दुर्बल हूँ

स्वामी, न मोको आँकिए !


मोहिनी मूरत पर बलि जाऊँ

मन मंदिर में तोहि बसाऊँ

नजर ना लग जाए लाला,

इतनो ना सुंदर लागिए !!!

(आज गोपाल की छ्ठीपूजन पर मन के भाव )



रविवार, 16 अगस्त 2020

छद्म भावों से घिरे !

 कितने दिखावों से घिरे, 

कितने छलावों से घिरे !

क्यूँ जी रहे हो जिंदगी,

यूँ छद्म भावों से घिरे !


ना प्रेम ही करते बना

ना ज्ञान ही पाया घना

ना मीत ही कोई बना

ना जीत ने तुमको चुना ।

चलते रहे कदम-कदम

कितने अभावों से घिरे !

क्यूँ जी रहे हो जिंदगी

यूँ छद्म भावों से घिरे !


जाने ये जन्म क्यों मिला

तुम जान ही पाए नहीं,

पाकर मनुज शरीर को

मानव भी बन पाए नहीं !

जो फल नहीं पाईं कभी

ऐसी दुआओं से घिरे !

क्यूँ जी रहे हो जिंदगी

यूँ छद्म भावों से घिरे !


बस मौन हो सहते रहे

हर जुल्म को, अन्याय को

तुम बाँच भी पाए कहाँ

आयु के हर अध्याय को ।

जीवन के रंगमंच पर 

झूठी अदाओं से घिरे !

क्यूँ जी रहे हो जिंदगी

यूँ छद्म भावों से घिरे !



बुधवार, 12 अगस्त 2020

कितना समय लगाया कान्हा !!!

दुनिया ने जब जब दुत्कारा
तूने गले लगाया कान्हा,
मैं अर्जुन सी भ्रमित हो गई
गीता ज्ञान सिखाया कान्हा !!!

सपनों की सच्चाई देखी,
अच्छों की अच्छाई देखी,
अपनेपन में छिपी, कुटिलता-
स्वारथ की परछाईं देखी,
कदम-कदम ठोकर खाकर भी
पागल मन भरमाया कान्हा !!!

सुख की खोज में दर-दर भटका,
द्वार खुला नहीं, फिर भी घट का !
फूलों की चाहत थी किंतु
माया ने काँटों में पटका !
जब बेड़ा भवसागर अटका
तूने पार लगाया कान्हा !!!

बारह महीने सावन-भादों
मेरी आँखों में रहते हैं,
तुम आओ तो चरण पखारूँ
नयनों से झरने बहते हैं !
टूट ना जाए साँस की डोरी
कितना समय लगाया कान्हा !!!