रविवार, 24 जुलाई 2016

हर पल


हर पल


साथ अपनों का जब मिले हर पल,
यूँ ही चलता रहे सफर हर पल...

वक्त की खिड़कियों को बंद ना कर,
खुशबू यादों की आ रही हर पल...

दिल की गहराइयों से माँग ज़रा,
जो तू चाहे वही मिले हर पल...

अब किसी इम्तिहाँ से क्या डरना,
जिंदगी इम्तिहाँ बनी हर पल...

तू क्यूँ नाराज है ऐ वक्त बता,
हमने तो की तेरी कदर हर पल...

दोस्तों, शायरी का शौक नहीं,
चंद लफ्जों के गुल खिले हर पल...
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सोमवार, 4 जुलाई 2016

अभिलाषा


अभिलाषा


कभी तुझसे कोई शिकायत नहीं हो
चाहे जैसे रहूँ चाहे जो भी सहूँ !
कभी तुझसे कोई....

तू परछाईं जैसे मेरे संग रहना
ये संसार अपना लगे, चाहे सपना !
मैं सब में हमेशा तुझे खोज लूँ !
कभी तुझसे कोई ....

बढे चाहे जिम्मेदारियों का बोझ जितना
रहे मुझसे दुनिया खफा चाहे कितना,
मैं आँचल तेरे प्यार का ओढ लूँ !
कभी तुझसे कोई...

मिले वक्त थोड़ा , रहे काम ज्यादा
ना भूलूँ कभी जो किया तुझसे वादा,
मैं साए में तेरे हमेशा रहूँ !
कभी तुझसे कोई...

भटकने लगूँ गर मैं राहों से अपनी
तो तू रोक देना निगाहों से अपनी,
मैं हर वक्त तेरी नजर में रहूँ !
कभी तुझसे कोई...

कभी तुझसे कोई शिकायत नहीं हो
चाहे जैसे रहूँ चाहे जो भी सहूँ !
कभी तुझसे कोई..
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