बुधवार, 3 फ़रवरी 2021

फिर तुम्हारी राहों में !

तड़पेगी याद मेरी, फिर अधूरी चाहों में !
भटकेंगे प्राण मेरे, फिर तुम्हारी राहों में !!

छूकर वह पारिजात, कलियाँ कुछ सद्यजात।
बंद कर पलकें, करोगे, याद कोई मेरी बात।

सिमटेंगे गीत मेरे, फिर तुम्हारी बाँहों में !
भटकेंगे प्राण मेरे, फिर तुम्हारी राहों में !!

सावन की हो फुहार, या बसंत की बयार । 
मन विजन का मौन तोड़, बाजेगा फिर सितार ।

स्वर मद्धम बिखरेंगे, फिर सभी दिशाओं में !
भटकेंगे प्राण मेरे, फिर तुम्हारी राहों में !!

आसपास, फिर उदास, सुन पड़ेगी इक पुकार ।
फिर तुम्हारे नयनों से, बह चलेगी अश्रूधार ।

जल उठेंगे फिर चिराग, इश्क की दरगाहों में !
भटकेंगे प्राण मेरे, फिर तुम्हारी राहों में !!