बुधवार, 3 फ़रवरी 2021

फिर तुम्हारी राहों में !

तड़पेगी याद मेरी, फिर अधूरी चाहों में !
भटकेंगे प्राण मेरे, फिर तुम्हारी राहों में !!

छूकर वह पारिजात, कलियाँ कुछ सद्यजात।
बंद कर पलकें, करोगे, याद कोई मेरी बात।

सिमटेंगे गीत मेरे, फिर तुम्हारी बाँहों में !
भटकेंगे प्राण मेरे, फिर तुम्हारी राहों में !!

सावन की हो फुहार, या बसंत की बयार । 
मन विजन का मौन तोड़, बाजेगा फिर सितार ।

स्वर मद्धम बिखरेंगे, फिर सभी दिशाओं में !
भटकेंगे प्राण मेरे, फिर तुम्हारी राहों में !!

आसपास, फिर उदास, सुन पड़ेगी इक पुकार ।
फिर तुम्हारे नयनों से, बह चलेगी अश्रूधार ।

जल उठेंगे फिर चिराग, इश्क की दरगाहों में !
भटकेंगे प्राण मेरे, फिर तुम्हारी राहों में !!

69 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर । बहुत भावुक अभिव्यक्ति ।

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    1. आदरणीय जितेन्द्र जी, इतनी त्वरित प्रतिक्रिया देकर रचना का समर्थन करने और उत्साह बढ़ाने के लिए हृदयपूर्वक आपका आभार !!!

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार (०४-०२-२०२१) को 'जन्मदिन पर' (चर्चा अंक-३९६७) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    अनीता सैनी

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    1. बहुत बहुत आभार आपका प्रिय अनिता। चर्चामंच में अपनी रचना का आना मेरे लिए प्रसन्नता की बात होती है।

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  3. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ५ जनवरी २०२१ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका प्रिय श्वेता। पाँच लिंकों में अपनी रचना का चुना जाना मेरे लिए प्रसन्नता की बात होती है।

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  4. उत्तर
    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका आदरणीय ओंकार जी

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  5. तड़पेगी याद मेरी, फिर अधूरी चाहों में !
    भटकेंगे प्राण मेरे, फिर तुम्हारी राहों में !!

    जल उठेंगे फिर चिराग, इश्क की दरगाहों में !
    भटकेंगे प्राण मेरे, फिर तुम्हारी राहों में !!

    उफ्फ !!बहुत ही सुंदर हृदयस्पर्शी ,कभी दिनों बाद आपकी कलम बोली है मीना जी,
    लिखते रहा कीजिये,इंतजार रहता है आपकी रचनाओं का,सादर नमन

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका इस आशीष के लिए। सादर।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका आदरणीय गगन शर्मा जी

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  8. आसपास, फिर उदास, सुन पड़ेगी इक पुकार ।
    फिर तुम्हारे नयनों से, बह चलेगी अश्रूधार ।

    जल उठेंगे फिर चिराग, इश्क की दरगाहों में !
    भटकेंगे प्राण मेरे, फिर तुम्हारी राहों में !!

    जब उनके नयनों से अश्रुधार बहने लगे भटकते प्राणों का इश्क मुकम्मल होगा....फिर निश्चय ही दरगाहों में चिराग स्वतः जल उठेंगे...
    वाह!!!
    कमाल का सृजन।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका इस आशीष के लिए। सादर।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका मीना जी। सस्नेह।

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  11. बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका इस सराहना के लिए। सादर।

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  12. उत्तर
    1. प्रिय सदा,बहुत बहुत धन्यवाद आपका इस सराहना के लिए।

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  13. उत्तर
    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका इस आशीष के लिए। सादर।

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  14. बहुत अच्छी पंक्तियां हैं...वाह।

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  15. बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति, मीना दी।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका ज्योति जी। सस्नेह।

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  16. स्वर मद्धम बिखरेंगे, फिर सभी दिशाओं में !
    भटकेंगे प्राण मेरे, फिर तुम्हारी राहों में !!
    प्रिय मीना . मन के विकल भाव बहुत ही मार्मिकता के साथ रचना में मुखर हुए हैं | लयबद्धता ने रचना में चार चाँद लगा दिए हैं | हार्दिक शुभकामनाएं और स्नेह इस भावपूर्ण रचना के लिए |

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  17. बहुत बहुत धन्यवाद और स्नेह प्रिय रेणु।

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  18. उत्तर
    1. स्वर मद्धम बिखरेंगे, फिर सभी दिशाओं में !
      भटकेंगे प्राण मेरे, फिर तुम्हारी राहों में !!

      बेहतरीन लेख.

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  19. बहुत सुन्दर संवेदनशील अभीव्यक्ति ... ह्रदय के कोमल बिन्दुओं को छू कर गुज़रती रचना ... मन के तारों को झंकृत करती रचना ...

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  20. बहुत बढ़िया कहा ... बेहद खूबसूरत ।

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  21. बहुत खूबसूरत
    इक़ उम्मीद लिए कि फ़िर प्रियतम गुज़रेंगे उन्ही राहों से

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  22. सावन की हो फुहार, या बसंत की बयार ।
    मन विजन का मौन तोड़, बाजेगा फिर सितार ।

    बहुत भावप्रवण रचना . खूबसूरत एहसास से लबरेज़.

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    1. बहुत सारा स्नेह और धन्यवाद आदरणीया संगीता दीदी

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  23. लाजवाब पंक्तियाँ !सुन्दर भावों से सजी शानदार कविता! बधाई!

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  24. जला कर चिराग तुमने जो इंतज़ार किया
    प्राणों को भी उनकी राहों में न्योछावर किया
    भला क्यों न लौटेंगे तुम्हारे पास तुम्हारे प्राणप्रिय
    उम्मीद की लौ को हर बार ही तो रोशन किया ।

    खूबसूरत ग़ज़ल

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    1. बहुत बहुत आभार मेरी रचना पर अपनी अनमोल प्रतिक्रिया देने हेतु आदरणीया संगीता दीदी।

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  25. उत्तर
    1. आदरणीय, बहुत बहुत आभार मेरी रचना पर अपनी अनमोल प्रतिक्रिया देने हेतु।

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