एक दिन मोबाइल को
छुट्टी दे दो....
फिर से किताबों को,
भोले से ख्वाबों को,
लट्टू पतंगों को,
रिश्तों के रंगों को,
ढूँढ़ने चलो, या फिर
चिट्ठी लिख लो...
एक दिन मोबाइल को
छुट्टी दे दो....
यादों की परियों से,
बचपन की गुड़ियों से,
बट्टी कर लो,
वाट्स अप और
फेसबुक से
कट्टी कर लो...
एक दिन मोबाइल को
छुट्टी दे दो....
फिर ब्रश उठाओ,
कोई पेंटिंग बनाओ,
या सारे दोस्तों को,
घर पर बुलाओ,
अपनों के संग थोड़ी
मस्ती कर लो...
इक दिन मोबाइल को
छुट्टी दे दो....
चलो गाओ गाने,
वो भूले तराने,
तबला उठाओ,
हारमोनियम बजाओ,
चाहे शायरी - कविता
टूटी फूटी कर लो....
एक दिन मोबाइल को
छुट्टी दे दो....
छुट्टी दे दो....
फिर से किताबों को,
भोले से ख्वाबों को,
लट्टू पतंगों को,
रिश्तों के रंगों को,
ढूँढ़ने चलो, या फिर
चिट्ठी लिख लो...
एक दिन मोबाइल को
छुट्टी दे दो....
यादों की परियों से,
बचपन की गुड़ियों से,
बट्टी कर लो,
वाट्स अप और
फेसबुक से
कट्टी कर लो...
एक दिन मोबाइल को
छुट्टी दे दो....
फिर ब्रश उठाओ,
कोई पेंटिंग बनाओ,
या सारे दोस्तों को,
घर पर बुलाओ,
अपनों के संग थोड़ी
मस्ती कर लो...
इक दिन मोबाइल को
छुट्टी दे दो....
चलो गाओ गाने,
वो भूले तराने,
तबला उठाओ,
हारमोनियम बजाओ,
चाहे शायरी - कविता
टूटी फूटी कर लो....
एक दिन मोबाइल को
छुट्टी दे दो....
आपकी लिखी रचना मंगलवार 16 मई 2022 को
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
16 की जगह 17 मई पढ़ें
जवाब देंहटाएंवाह!बहुत बढ़िया कहा 👌
जवाब देंहटाएंसच ऐसी लत लगी है मोबाइल की बच्चे क्या बूढ़े
सभी बोलना भूल गए हैं।
सादर
मोबाइल को छुट्टी तो नहीं दे पाते लोग, तभी तो दुनियाभर में इसके दुःखद परिणाम सबके सामने आते रहते हैं
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रेरक प्रस्तुति
एक दिन मोबाइल को
जवाब देंहटाएंछुट्टी दे दो....
फिर से किताबों को,
भोले से ख्वाबों को,
लट्टू पतंगों को,
रिश्तों के रंगों को,
ढूँढ़ने चलो, या फिर
चिट्ठी लिख लो...
बहुत सुन्दर रचना …सभी बच्चों को तो जरूर पढ़ानी चाहिए!
न जाने क्यों मुस्कान खिल गई कल्पना करते हुए कि सच में कभी मोबाइल को छुट्टी दे कर हम अपने पुराने दिनों में लौट सकते हैं। आह! क्या समय था वो ....
जवाब देंहटाएंमोबाइल की छुट्टी की अरजी पहुँच रही है मन तक
जवाब देंहटाएंखेलो,खाओ,बतियाओ पहुँचो इस क्षण से उस क्षण तक।
दी.ये रचना तो हम पढ़े ही नहीं थे मजा आ गया पढ़कर, संदेश के साथ रचना की गेयता आनंद दे रही है बहुत।
हमेशा की तरह लाज़वाब रचना।
प्रणाम दी
सादर।
सच इस मोबाइल ने सब बदल दिया सब अपने अपने मोबाइल पकड़ व्यस्त हैं सही कहा एक दिन ही सही मोबाइल को छुट्टी दे दो।
जवाब देंहटाएंवाह!!!
प्रिय मीना,सच में रोज यही संकल्प लेने का मन होता है प्रति दिन पर मोबाइल प्रेम के समक्ष सभी संकल्प धराशायी हो जाते।रोचक लेकिन सटीक रचना के लिए बधाई ♥️♥️🌺🌺
जवाब देंहटाएंदी,हम जो प्रतिक्रिया लिखे क्यों नहीं दीख रहा प्लीज आप स्पेम में चेक करिये न क्योंकि मेरे ब्लॉग पर.भी बहुत सारी प्रतिक्रिया स्पेम में जा रही जिसे not spam करके हम पब्लिश किए।
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