बुधवार, 25 जनवरी 2017

इंसान बदल जाते हैं...

मौसम की तरह से यहाँ इंसान बदल जाते हैं..
उस पर ये शिकायत है कि हालात बदल जाते हैं ।

हम इबादत का तरीका भी ना बदल पाए...
और कुछ लोगों के भगवान बदल जाते हैं ।

खेलते हैं लोग, इस कदर जज्बातों से...
कभी रिश्ते, कभी पहचान बदल जाते हैं ।

रुकता नहीं, कभी, कहीं, यादों का काफिला..
हम भी तिनके सा, इस दरिया में बहे जाते हैं ।

ना उम्मीद मोहब्बत की, ना वफा की आरजू...
लो आप की गुस्ताखियाँ भी माफ किए जाते हैं ।

नहीं मंजूर हमें, अपने मुकद्दर का फैसला...
खुदी बुलंद कर, अंजाम बदल जाते हैं ।



               
   

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