सोमवार, 9 जनवरी 2017

तेरी प्यार वाली नज़र पड़ी....

तेरी प्यार वाली नज़र पड़ी
तो ये सारा आलम बदल गया, 
तूने मुस्कुराकर क्या कहा,
मेरा गुरूर सारा पिघल गया...
          तेरी प्यार वाली नज़र....

जो मैं तुझसे रूठूँ, मेरी खता 
जो तू माफ़ कर दे, तेरा करम,
ये बात आपस की है सनम,
तेरे कहने से दिल बहल गया...
         तेरी प्यार वाली नज़र....

तेरी रहमतों का ये सिलसिला,
ना तो कम हुआ, ना रुका कभी
जब लड़खड़ाए कदम मेरे,
तूने हाथ थामा, सँभल गया...
          तेरी प्यार वाली नज़र ....

वही मधु भरी सुन बाँसुरी,
जिसे सुन के मीरा बावरी,
तेरी हो गयी, कहीं खो गई
क्या उसी का जादू चल गया ?
        तेरी प्यार वाली नज़र.... 

है युगों का नाता तेरा-मेरा,
नहीं प्रीत अपनी नई-नई 
तू कहाँ है ये भी पता नहीं,
तुझे खोजने भी निकल गया...
         तेरी प्यार वाली नज़र...

8 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    ११ फरवरी २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  2. वाह बहुत सुन्दर मीना जी प्रेम में समर्पण हो तो प्रेम निश्छल और पवित्र हो जाता है सुंदर भाव।
    मीना जी g+बंद हो रहा है यहां से काफी मित्र गण फेसबुक पर ज्वॉइन कर चूके आप भी फेसबुक पर ज्वॉइन करें, तो काव्य यात्रा साथ साथ चलती रहेगी ।
    सस्नेह।
    कुसुम कोठारी ।

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  3. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति...
    है युगों का नाता तेरा-मेरा,
    नहीं प्रीत अपनी नई-नई
    लाजवाब....

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  4. वाह !! बहुत सुन्दर सृजन सखी
    सादर

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