शनिवार, 26 नवंबर 2016

माँ की चिट्ठी

माँ की चिट्ठी
(बेटे के नाम)
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तुझे कहूँ मैं दिल का टुकड़ा
या कहूँ आँखों का तारा,
तुझे कहूँ मैं चाँद या सूरज,
या कहूँ जान से प्यारा।

तुझे पता है,
ये सारे शब्द कम हैं,

तेरे लिए  प्यार मेरा ,
शब्दों में समा नहीं सकता,
तुझे पाकर ही मैंने,
दुनियाँ की दौलत पाई है,
यह मेरा दिल
तुझको दिखा नहीं सकता

तेरे लिए इतना ही कह सकती हूँ
तू मेरा अंश है
तू मेरे सपनों का प्रतिबिंब है
तू मेरी परछाई है
मैंने तुझमें हमेशा
अपनी ही झलक पाई.है.

तू मेरा बेस्ट फ्रेंड है
मेरे मन की हर बात
बिना कहे ही जान लेता है,
तू मुझे कभी सताता है जिद करके,
तो कभी हँसाकर तंग करता है
कभी मुझसे रूठता, गुस्सा होता,
चिल्लाता आक्रोश प्रकट करता है.
तो कभी पीछे से आकर,
मुझे गुदगुदा देता है.

किसी और का मुझको        
'माँ' न कहने देना,
तेरे प्यार का ही तो सबूत है ....
मुझे कोई चिंता नहीं है अपनी,
जब तक तू मेरे साथ मौजूद है...
जब तक तू मेरे साथ मौजूद है।
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1 टिप्पणी:

  1. हर माँ की तरह ममता लुटाती, आपने लाड़ले को प्यार जताती, मन के उद्गार वाली भावुक कविता.
    विनम्रता संग,
    अयंगर

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