शुक्रवार, 25 नवंबर 2016

हमसफर


हमसफर

आओ हम तुम
बन जाएँ हमसफर,
हो जाएगी आसान
ये मुश्किल भरी डगर ।

ना  तुमको ये पता हो
पहुँचना कहाँ हमें,
ना मुझको ही पता कि
ठहरना कहाँ हमें ।
मंजिल हो वहीं पर
जहाँ खुशियों का हो शहर।।
आओ हम तुम
बन जाएँ हमसफर,
हो जाएगी आसान
ये मुश्किल भरी डगर।।

ये गीले दरख्तों से,
टपकता हुआ पानी,
ये लहरें समंदर की,
ये नदियों की रवानी
जी लें जरा-सी जिंदगी,
दो पल यहीं ठहर ।
आओ हम तुम
बन जाएँ हमसफर,
हो जाएगी आसान
ये मुश्किल भरी डगर।।

हर रंग के गुलों से
महकता हो जो चमन,
इंसानियत ही हो जहाँ
हो प्यार औ' अमन
ऐसा जहान खोज लूँ
तू साथ दे अगर ।
आओ हम तुम
बन जाएँ हमसफर,
हो जाएगी आसान
ये मुश्किल भरी डगर।।
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1 टिप्पणी:

  1. जीवन के सपनों को साकार करने की कामना का कितना सुंदर चित्रण. प्रेमपात्र को स्वर्णिम भविष्य का संदेश, विशिष्ट शब्द चयन के साथ- प्रवाह मयी उत्कृष्ट रचना...
    सादर,
    मेरा विशेष अभिनंदन स्वीकारें.

    जवाब देंहटाएं