रविवार, 13 नवंबर 2016

कोयल ....क्या बोले ?



कोयल ....क्या बोले ?


कोयल तू क्या बोले?
जब भी अपना मुँँह खोले,
कानों में मिसरी घोले...
कोयल तू क्या बोले ?

कहाँ की वासी तेरा पता दे,
किसे पुकारे जरा बता दे,
पीपल, अंबिया, नीम, कदंब,
इस तरु से उस तरु डोले...

कोयल तू क्या बोले ?
जब भी अपना मुँँह खोले
कानों में मिसरी घोले ।

तेरी बोली जब सुन पाऊँ,
तुझे खोजने दौडी़ आऊँ,
तू छिप कर फिर कहाँ ,
मेरे मन के भावों को तौले

कोयल तू क्या बोले?
जब भी अपना मुँँह खोले,

तेरा मेरा क्या है नाता,
क्यों तेरा सुर इतना भाता ?
क्यों तेरे  सुर पंचम को सुन,
खाए हिया हिचकोले....

कोयल तू क्या बोले ?
जब भी अपना मुँँह खोले,
कानों में मिसरी घोले ।

मेरा संदेशा लेते जाना,
फिर तू उनके सम्मुख जाना,
उन वादों की याद दिलाना ,
लेकिन हौले - हौले...

कोयल तू क्या बोले ?
जब भी अपना मुँँह खोले,
कानों में मिसरी घोले,
कोयल तू क्या बोले ?
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1 टिप्पणी:

  1. मानसिक भावों का अति उत्तम चित्रण

    प्रारूपण...

    बहुत सुंदर...
    ऐसा ही बढ़ते रहें.

    भगवान आपका साथ देता रहे..
    अयंगर.

    जवाब देंहटाएं