कोयल ....क्या बोले ?
कोयल तू क्या बोले?
जब भी अपना मुँँह खोले,
कानों में मिसरी घोले...
कोयल तू क्या बोले ?
कहाँ की वासी तेरा पता दे,
किसे पुकारे जरा बता दे,
पीपल, अंबिया, नीम, कदंब,
इस तरु से उस तरु डोले...
कोयल तू क्या बोले ?
जब भी अपना मुँँह खोले
कानों में मिसरी घोले ।
तेरी बोली जब सुन पाऊँ,
तुझे खोजने दौडी़ आऊँ,
तू छिप कर फिर कहाँ ,
मेरे मन के भावों को तौले
कोयल तू क्या बोले?
जब भी अपना मुँँह खोले,
तेरा मेरा क्या है नाता,
क्यों तेरा सुर इतना भाता ?
क्यों तेरे सुर पंचम को सुन,
खाए हिया हिचकोले....
कोयल तू क्या बोले ?
जब भी अपना मुँँह खोले,
कानों में मिसरी घोले ।
मेरा संदेशा लेते जाना,
फिर तू उनके सम्मुख जाना,
उन वादों की याद दिलाना ,
लेकिन हौले - हौले...
कोयल तू क्या बोले ?
जब भी अपना मुँँह खोले,
कानों में मिसरी घोले,
कोयल तू क्या बोले ?
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मानसिक भावों का अति उत्तम चित्रण
जवाब देंहटाएंव
प्रारूपण...
बहुत सुंदर...
ऐसा ही बढ़ते रहें.
भगवान आपका साथ देता रहे..
अयंगर.