मंगलवार, 27 दिसंबर 2016

"खुशनुमा सुबह"

सुबह जगाने आया,
मस्त हवा का झोंका।
आँख खुली, मैंने
खिड़की से बाहर देखा।।

गर्दन उचका, सूर्य पूर्व से,

झांक रहा था।
आने के पहले क्या सबको
आँक रहा था ?

मैं आई बगिया में

फूलों को सहलाया।
सिमटी हुई रात रानी से
प्यार जताया।।

लाल गुलाबी कृष्ण कमल की

कलियाँ डोली।
चंपा और चमेली ने भी
आँखें खोली।।

गुलाब ने दोस्ती का

बढ़ा दिया हाथ।
बड़ी अदा से झुककर
बेला ने कहा - सुप्रभात।।

नन्हा सा चिडिया का बच्चा

हाथों पर चढ़ गया,
हौले से पकड़ उसे
चूमकर उड़ा दिया।।

आज सारे पौधों पर

खुशियाँ खिल गई,
मुझको भी इनके संग
खुशी मिल गई।।

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