मंगलवार, 6 दिसंबर 2016

नशा - एक जहर


नशा - एक जहर


नशे की राह में कई गुमराह हो रहे,
ये नौनिहाल देश के तबाह हो रहे ।

कहता है कोई पी के
भूल जाएगा वो गम,
कहता है कोई छोड़ दूँगा
आपकी कसम !
उज्जवल भविष्य कितनों के ही,
स्याह हो रहे....
ये नौनिहाल देश के तबाह हो रहे ।

साँसों को जलाकर
बनाया खाक इन्होंने,
परिवार की खुशियों को
किया राख इन्होंने,
क्यों बेटियों के फिर भी
इनसे ब्याह हो रहे....
ये नौनिहाल देश के तबाह हो रहे ।

हैं कौन वे जो बो रहे
नशे का ये जहर,
वे हैं भुजंग से भी बड़े
विषभरे विषधर,
इनकी वजह से जुर्म
बेपनाह हो रहे....
ये नौनिहाल देश के तबाह हो रहे ।

कई तो फँसें जानकर
ये ऐसा जाल है,
अभिशाप है जीवन का,
ये अकाल काल है,
इसके शिकार लोग
सरेराह हो रहे....
क्यूँ नौनिहाल देश के तबाह हो रहे ?

नशे की राह में कई गुमराह हो रहे,
ये नौनिहाल देश के तबाह हो रहे ।।

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