जमाना हार, फतह है तू !!!
मैं अँधेरों से नहीं डरती अब
मेरी रातों की, सहर है तू !!!
तेरे होने से मुकम्मल हूँ मैं
जिस्म हूँ मैं, तो रूह है तू !!!
मेरे ओठों की तबस्सुम तुझसे
ज़िंदगी से मेरा रिश्ता है तू !!!
तू सिर्फ चाँद और सूरज ही नहीं,
मेरी आँखों का सितारा है तू !!!
तेरे माथे को चूमकर कह दूँ
इतना मीठा है, शहद है तू !!!
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(बेटे अतुल के लिए)
प्रिय मीना,एक माँ का हृदय अपनी संतान के लिए क्या होता है ये वही जान सकती हैं।अपने जिगर के टुकडे को समर्पित इस रचना में अथाह स्नेह और अनेकानेक आशीष छिपी है।प्रिय अतुल को जन्मदिन पर मेरा आशीर्वाद और प्यार।उसका जीवन सदैव निष्कंटक रहे यही दुआ करती हूँ।तुम्हारी अनमोल रचना आज फिर से पढकर अच्छा लगा।बेटे के जीवन में उसके स्वभाव की मिठास सदैव बरकरार रहे यही कामना है।तुम्हें भी शुभकामनाएं और बधाई
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