ज़िंदा हूँ साँसें अब भी चल रही हैं मेरे दोस्त !
थकी-थकी सी शाम, ढल रही है मेरे दोस्त !
बुलबुल ने साथ छोड़ दिया सूखे गुलों का
बुलबुल ने साथ छोड़ दिया सूखे गुलों का
कि रुत बहार की निकल रही है मेरे दोस्त !
महफिल में कौन देख सका शमा के आँसू
परवाने से पहले वो जल रही है मेरे दोस्त !
अहसास होगा अपनी ख़ता का कभी तुम्हें
रूह इस खयाल से, बहल रही है मेरे दोस्त !
बहला रहे हैं दिल को गलतफहमियों से हम
कैसी बुरी आदत ये पल रही है मेरे दोस्त !
दिन में पचास रंग बदलता रहा सूरज
धरती भी रंग अब, बदल रही है मेरे दोस्त !
दिल के उसी कोने को जरा छू के देखना
धड़कन वहाँ मेरी मचल रही है मेरे दोस्त !
महफिल में कौन देख सका शमा के आँसू
परवाने से पहले वो जल रही है मेरे दोस्त !
अहसास होगा अपनी ख़ता का कभी तुम्हें
रूह इस खयाल से, बहल रही है मेरे दोस्त !
बहला रहे हैं दिल को गलतफहमियों से हम
कैसी बुरी आदत ये पल रही है मेरे दोस्त !
दिन में पचास रंग बदलता रहा सूरज
धरती भी रंग अब, बदल रही है मेरे दोस्त !
दिल के उसी कोने को जरा छू के देखना
धड़कन वहाँ मेरी मचल रही है मेरे दोस्त !