बुधवार, 16 मई 2018

बस यही है ज़िंदगी !

ग़म छुपाकर मुस्कुराना, बस यही है ज़िंदगी !
अश्क पीकर खिलखिलाना,बस यही है ज़िंदगी !

इक सितारा आसमां में है मेरे भी नाम का,
उसको आँखों में छुपाना, बस यही है ज़िंदगी !

मरने की तो लाख वजहें हैं जहां में दोस्तों !
एक जीने का बहाना, बस यही है ज़िंदगी !

तेरे महलों की दीवारें, सोने - चाँदी की सही,
तिनकों का मेरा आशियाना, बस यही है ज़िंदगी !

टूटकर गिरना मेरे दिल का, तेरे कदमों में यूँ 
और तेरा ठोकर लगाना, बस यही है ज़िंदगी !

फूल खिलते हैं मुहब्बत के, वफ़ा की बेल पर
रस्म-ए- उल्फत का निभाना, बस यही है ज़िंदगी !

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