दिल धड़कता है तो सुन लेते हैं पैग़ाम उनका,
वो कहानी जो इक आग़ाज थी, अंजाम हुई !
हमने उस पल को कैद कर लिया है पलकों में
जब मिले उनसे मगर खुद से ही पहचान हुई !
कैसे सीखे कोई, अश्कों को रोकने का हुनर
वो कहानी जो इक आग़ाज थी, अंजाम हुई !
हमने उस पल को कैद कर लिया है पलकों में
जब मिले उनसे मगर खुद से ही पहचान हुई !
कैसे सीखे कोई, अश्कों को रोकने का हुनर
बूँद दरिया से समंदर हुई, तूफान हुई !
कहते हैं, बेवजह अश्कों को बहाया ना करो
सूनी आँखें बिना अश्कों के बियाबान हुई !
कहते हैं, बेवजह अश्कों को बहाया ना करो
सूनी आँखें बिना अश्कों के बियाबान हुई !
याद उनकी, खयाल उनके, तसव्वुर भी उनका
ज़िंदगी उनकी अमानत, दिल-ए-नादान हुई!
उनकी राहों से जब हटा लिए हमने ये कदम,
लफ्ज गुम हो गए और कलम बेज़ुबान हुई !
अब किसी और से, उम्मीद क्या वफा की करें
हमसे अपनी ही हर इक साँस बेईमान हुई !अब किसी और से, उम्मीद क्या वफा की करें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें