गुरुवार, 1 मार्च 2018

शबरी

चुन-चुनकर फल लाए शबरी
पुष्प के हार बनाए शबरी
निशिदिन ध्यान लगाए शबरी
फिर भी रहे उदास !
राम रमैया कब आओगे,
छूट ना जाए साँस !!!

शीतल जल गगरी भर लाऊँ
कुटिया को फूलों से सजाऊँ
प्रभु पंथ पर नयन बिछाऊँ
कंद मूल नैवेद्य बनाऊँ,
कैसे स्वागत करूँ प्रभु का
मैं चरणों की दास !!!
राम रमैया कब आओगे,
छूट ना जाए साँस !!!

भक्त की पीर प्रभु पहचाने
मेरे दुःख से क्यूँ अंजाने ?
एक एक दिन युग सम लागे
कैसे राम मिलेंगे जाने !
किंतु मिलेंगे इसी जन्म में
इतना है विश्वास !!!
राम रमैया कब आओगे,
छूट ना जाए साँस !!!

खिंचे चले आए जब रघुवर
शबरी की भक्ति से बँधकर
मीठे बेर खिलाए चखकर
हरि खाते हैं हँस-हँसकर !
भर-भर आई अँखियाँ, मिट गई
जन्म-जन्म की प्यास !!!
    ----मीना शर्मा----

1 टिप्पणी:

  1. खिंचे चले आए जब रघुवर
    शबरी की भक्ति से बँधकर
    मीठे बेर खिलाए चखकर
    हरि खाते हैं हँस-हँसकर !
    भर-भर आई अँखियाँ, मिट गई
    जन्म-जन्म की प्यास !!!
    वाह वर्षों से प्रतीक्षा रत शबरी की श्रद्धा और आस्था को शब्द देती रचना जिसमें शबरी के बेरों सा माध्री स्वतः ही उमड़ आया है | हार्दिक शुभकामनाएं|

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