बुधवार, 30 अगस्त 2017

शिकायत

आज दिल ने मेरे मुझसे ये शिकायत की है
ये कहो, तुमने कभी मुझसे मुहब्बत की है ?

मैंने ख्वाबों को तेरे, अपनी निगाहें दे दीं
तेरे जज्बातों को धड़कन में पनाहें दे दीं !
फिर भी तुमने सदा गैरों की हिमायत की है
आज दिल ने मेरे मुझसे ये शिकायत की है !

जख्म होंगे तेरे, लेकिन दर्द तो मुझको मिला
आँसू तेरे गिरे, दामन हुआ मेरा गीला !
अपनी खुशियों की तेरे नाम वसीयत की है
आज दिल ने मेरे मुझसे ये शिकायत की है !

ये जमाना कभी तेरा ना हुआ, ना होगा
मुझसे बढ़कर कोई, तेरा नहीं अपना होगा !
तेरे हर राज़ में मैंने ही तो शिरकत की है
आज दिल ने मेरे मुझसे ये शिकायत की है !

भटकता फिरता हूँ तन्हा, यूँ दीवाना हूँ तेरा
तेरे वजूद का हिस्सा हूँ, फसाना हूँ तेरा !
तेरे ओठों पे तबस्सुम की ही, हसरत की है
आज दिल ने मेरे मुझसे ये शिकायत की है !










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