मिजाज़ रुत का भी है बदला सा !
प्यार का फलसफा सदियों से वही
वक्त के साथ हम बदलें कैसे ?
आज बच्चे सी मचलकर आती
ज़िद्दी यादों को थाम ले कोई !
द्वार पर दे रहीं दस्तक मन के,
लौट जाने को भी कहें कैसे ?
एक पंछी को रोज देखा है,
बातें करते हुए दरख्त के संग !
नाम दोनों के पाक रिश्ते का,
कोई पूछे तो बताएँ कैसे ?
हमने बादल से गुज़ारिश की है,
बरस जाए वो, जमीं पर दिल की!
कोई कदमों के निशां छोड़ गया,
अपने अश्कों से मिटाएँ कैसे ?
गर वो कह दें, कि अब चले जाओ
लौट जाएँगे उनकी महफिल से !
जान देकर वफ़ा निभा देंगे,
अब कहो, और निभाएँ कैसे ?
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आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 25 मई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआदरणीया यशोदा दीदी, बहुत आभार इस रचना को हमकदम में लेने के लिए।
हटाएंहमने बादल से गुज़ारिश की है,
जवाब देंहटाएंबरस जाए वो, जमीं पर दिल की!
कोई कदमों के निशां छोड़ गया,
अपने अश्कों से मिटाएँ कैसे ?
अंतस की वेदना का विस्फोट!
हृदयस्पर्शी रचना मीना जी
जवाब देंहटाएंहमने बादल से गुज़ारिश की है,
जवाब देंहटाएंबरस जाए वो, जमीं पर दिल की!
कोई कदमों के निशां छोड़ गया,
अपने अश्कों से मिटाएँ कैसे ?
बहुत खूब..... हृदयस्पर्शी सृजन सखी ,एक एक शब्द अंतःकरण में उतर गए ,सादर