शनिवार, 8 जुलाई 2017

स्वप्न-गीत


कभी कभी एक गीत
मेरे ख्वाबों में आता है
बिखेर देता है गुलाबों की खुशबू,
मन के हर कोने में !
बाँसुरी की मीठी तान सा
कानों में शहद घोल जाता है !

छा जाता है बादलों की तरह
उदास नयनों पर !
फिर पता ही नहीं चलता,
नयन बरस रहे हैं या बादल
भीगा मन सिहरता है,
गीत हँस देता है, झाँककर मेरी आँखों में !

समेट लेता है मुझे अपनी
हथेलियों में बड़ी नज़ाकत से,
जैसे चिड़िया छुपा लेती है
परों में अपने बच्चे को !
रख लेता है मुझे दिल के करीब
एक नर्म अहसास की तरह !

चाँद की मद्धिम रोशनी में
जादू के पंख लगाए,
किसी फरिश्ते की तरह
गीत उतरता है आसमां से
और थामकर हाथ मेरा
साथ चलने को मजबूर कर देता है !!!

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