शनिवार, 15 जुलाई 2017

अर्धसत्य

'''अर्धसत्य'''
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जाने किसने तुम्हें यह
उपाधि दे दी -
'सत्यम,शिवम,सुंदरम'
कह दिया तुम्हें !
तुम सत्य भी हो
और सुंदर भी ?

सत्य हमेशा ही सुंदर हो,
ये जरूरी तो नहीं !
फिर तुम सत्य कैसे ?

सत्य के घिनौने, 
वासनामय और भूखे-नंगे 
रूपों का क्या ?
उनमें तुम्हारी कल्पना करूँ,
क्या सह पाओगे तुम ?

तुम तो मधुर हो ना !
"मधुराधिपते अखिलं मधुरम" !
फिर तुम सत्य कैसे ?

हर सत्य तो मधुर नहीं होता
अधिकतर तो कड़वा ही होता है!
तुम कटु सत्य हो गए,
तो मीठी बंसी कैसे बजाओगे ?

कैसे समझूँ मैं तुम्हें ?
कैसे जानूँ ?
मन घुट रहा है सवालों से !
अच्छा, इतना तो बता दो,
तुम्हें सत्य कैसे कहूँ ?
और 'अर्धसत्य' कहूँ,
तो मंजूर होगा क्या तुम्हें ?



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