गुरुवार, 20 जुलाई 2017

जिंदगी पर मत लिखो


जिंदगी पर मत लिखो अब,
जिंदगी रहने ही दो !
गर खुदा से प्यार ना हो,
बंदगी रहने ही दो !!!
        जिंदगी पर मत लिखो...
लाख मोड़े पैर,
चादर कम हमेशा ही रही।
बैल कोल्हू के बने
पर मार महँगाई गई !
मत बनो हमदर्द,
झूठी सादगी रहने ही दो !!!
        जिंदगी पर मत लिखो...
तुम मनाओ ईद, दीवाली !
सजाओ आशियाँ ।
हम तो बेघर,रास्तों पर,
रहते जैसे शहन्शाह !
बेख़ुदी में जी तो लेंगे,
बेख़ुदी रहने भी दो !
        जिंदगी पर मत लिखो...
इस जहाँ में जब से आए,
ढो रहे अपना सलीब ।
लोग बदले, दौर बदला,
बदला ना अपना नसीब !
मत दिखाओ और सपने
दिल्लगी रहने ही दो !!!
          जिंदगी पर मत लिखो...

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