सोमवार, 3 जुलाई 2017

इंद्रधनुष


इंद्रधनुष,
दे दो इजाजत,
आज तुम दे दो इजाजत !
अंजुरि भर रंग तुम्हारे
अपनी पलकों में सजा लूँ
और सब बेरंग सपने,
मैं जरा रंगीन कर लूँ !
श्वेत श्यामल जिंदगी में
तितलियों के रंग भर लूँ !

इंद्रधनुष,
आज रुक जाओ जरा,
दम तोड़ती, बेजान सी
इस तूलिका को,
मैं रंगीले प्राण दे दूँ,
रंगभरे कुछ श्वास दे दूँ !
पूर्ण कर लूँ चित्र सारे,
रह गए थे जो अधूरे !

इंद्रधनुष,
आज कुछ ऐसा करो ना !
रंग तुम्हारे हों असीमित
शब्द मेरे हों अपरिमित
हर नई संवेदना को
इक नया मैं रंग दे दूँ !
आज अपनी कलम को
मैं तुम्हारा संग दे दूँ !

इंद्रधनुष,
आज तुम तोड़ो प्रथा और
गगन से उतरो जमीं पर !
अनछुए रंगों में लिपटूँ ,
मैं तुम्हारे गले लगकर
मुस्कुरा लूँ,आज जी भर !
तुम अगर दे दो इजाजत !

इंद्रधनुष
आज तुम दे दो इजाजत !

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