सोमवार, 10 मार्च 2025

जहरी मीडिया

आग लगने की तके है 
राह जहरी मीडिया
घी लिए तैयार बैठा, 
वाह जहरी मीडिया !

धर्म, जाति, कौम के 
रंग में रंगे हर रूह को
विषबुझे तीरों से करता
वार जहरी मीडिया !

चैनलों के कटघरे में 
हैं खड़े राम औ रहीम
कभी वकील है, कभी 
गवाह जहरी मीडिया !

हल निकल सकता जहाँ 
खामोशियों से खुद-ब-खुद
चीखता है बेवजह, 
बेपनाह जहरी मीडिया !

बस दूध के उबाल सा 
उफने है चंद रोज,
पकड़े है फिर अगली खबर 
की राह जहरी मीडिया !

जनता छली जाती रही , 
सच की तलाश में
देता रहा बस मुफ्त की 
सलाह जहरी मीडिया !



12 टिप्‍पणियां:

  1. आजकल की न्यूज में न्यूज के अलावा सबकुछ होता है । केवल टीआरपी चाहिए । जनता का सरोकार तो मानो टूट ही गया है ।

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  2. आज के दौर में सिवाय सनसनी फैलाने के इनकी शायद कोई जिम्मेदारी सची नहीं है शायद... मीडिया को खरी-खरी सुनाती जनता को जागरूक करती लाज़वाब रचना दी।
    सस्नेह प्रणाम दी
    सादर।
    --------
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार ११ मार्च २०२५ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  3. सटीक विश्लेषण, जबकि मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा गया है, फिर भी कुछ स्वतंत्र लोग अब भी सोशल मीडिया पर सत्य कह सकते हैं, इतनी तो आज़ादी भारत में है

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  4. जनता छली जाती रही ,
    सच की तलाश में
    सुंदर विचार
    आभार
    सादर

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  5. जहर जहर फैलाना है मीडिया बस एक बहाना है | सुन्दर |

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