ये जो तुम मुझे
भेज रही हो शुभकामनाएँ
महिला दिवस की,
तुम कौन हो ?
मैं तुम्हें नहीं जानती !
मैंने तुमसे कभी
सहानुभूति नहीं पाई
सहवेदना/ संवेदना तो दूर !
ओ स्त्री, तुम हो कौन ?
माँ, बहन, भाभी, सास
देवरानी, जेठानी, ननद
भेज रही हो शुभकामनाएँ
महिला दिवस की,
तुम कौन हो ?
मैं तुम्हें नहीं जानती !
मैंने तुमसे कभी
सहानुभूति नहीं पाई
सहवेदना/ संवेदना तो दूर !
ओ स्त्री, तुम हो कौन ?
माँ, बहन, भाभी, सास
देवरानी, जेठानी, ननद
मेरी सहकर्मी
या मेरी महिला बॉस ?
या मेरी अड़ोसी - पड़ोसी
सखी - सहेली ?
क्या तुमने नहीं बनाई मेरी बातें,
नहीं काटीं मेरी जड़ें ?
नहीं की मेरी चुगली ?
कैसे मान लूँ कि ये मेरा दिवस है
या हमारा दिवस है ?
'हम' शब्द तो उनके लिए
ठीक रहता है जो जुड़े हों
हम तो बँटे ही रहे हमेशा
साथ भी आए कभी, तो
स्वार्थ के धागे से ही जुड़े थे
कैसा महिला दिवस, कैसी शुभकामना ?
माफ करना ओ स्त्री,
मैं तुमसे इत्तेफाक नहीं रखती !
या मेरी महिला बॉस ?
या मेरी अड़ोसी - पड़ोसी
सखी - सहेली ?
क्या तुमने नहीं बनाई मेरी बातें,
नहीं काटीं मेरी जड़ें ?
नहीं की मेरी चुगली ?
कैसे मान लूँ कि ये मेरा दिवस है
या हमारा दिवस है ?
'हम' शब्द तो उनके लिए
ठीक रहता है जो जुड़े हों
हम तो बँटे ही रहे हमेशा
साथ भी आए कभी, तो
स्वार्थ के धागे से ही जुड़े थे
कैसा महिला दिवस, कैसी शुभकामना ?
माफ करना ओ स्त्री,
मैं तुमसे इत्तेफाक नहीं रखती !
( ये मेरे अपने विचार हैं, इसके अपवाद भी हो सकते हैं )