दुनिया ने जब जब दुत्कारा
तूने गले लगाया कान्हा,
मैं अर्जुन सी भ्रमित हो गई
गीता ज्ञान सिखाया कान्हा !!!
सपनों की सच्चाई देखी,
अच्छों की अच्छाई देखी,
अपनेपन में छिपी, कुटिलता-
स्वारथ की परछाईं देखी,
कदम-कदम ठोकर खाकर भी
पागल मन भरमाया कान्हा !!!
सुख की खोज में दर-दर भटका,
द्वार खुला नहीं, फिर भी घट का !
फूलों की चाहत थी किंतु
माया ने काँटों में पटका !
जब बेड़ा भवसागर अटका
तूने पार लगाया कान्हा !!!
बारह महीने सावन-भादों
मेरी आँखों में रहते हैं,
तुम आओ तो चरण पखारूँ
नयनों से झरने बहते हैं !
टूट ना जाए साँस की डोरी
कितना समय लगाया कान्हा !!!
तूने गले लगाया कान्हा,
मैं अर्जुन सी भ्रमित हो गई
गीता ज्ञान सिखाया कान्हा !!!
सपनों की सच्चाई देखी,
अच्छों की अच्छाई देखी,
अपनेपन में छिपी, कुटिलता-
स्वारथ की परछाईं देखी,
कदम-कदम ठोकर खाकर भी
पागल मन भरमाया कान्हा !!!
सुख की खोज में दर-दर भटका,
द्वार खुला नहीं, फिर भी घट का !
फूलों की चाहत थी किंतु
माया ने काँटों में पटका !
जब बेड़ा भवसागर अटका
तूने पार लगाया कान्हा !!!
बारह महीने सावन-भादों
मेरी आँखों में रहते हैं,
तुम आओ तो चरण पखारूँ
नयनों से झरने बहते हैं !
टूट ना जाए साँस की डोरी
कितना समय लगाया कान्हा !!!
एक बहुत सशक्त सुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद सर, सादर प्रणाम।
हटाएंबहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंश्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ आपको।
बहुत बहुत धन्यवाद, आपको भी हार्दिक शुभकामनाएँ एवं सादर प्रणाम आदरणीय शास्त्रीजी।
हटाएंसपनों की सच्चाई देखी,
जवाब देंहटाएंअच्छों की अच्छाई देखी,
अपनेपन में छिपी, कुटिलता-
स्वारथ की परछाईं देखी,
कदम-कदम ठोकर खाकर भी
पागल मन भरमाया कान्हा !!!
बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण ...
हमेशा की तरह लाजवाब सृजन
वाह!!!
कृष्ण जन्माष्टमी की अनन्त शुभकामनाएं।
बहुत बहुत आभार सुधाजी, आपको भी कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ
हटाएंसुख की खोज में दर-दर भटका,
जवाब देंहटाएंद्वार खुला नहीं, फिर भी घट का !
फूलों की चाहत थी किंतु
माया ने काँटों में पटका !
जब बेड़ा भवसागर अटका
तूने पार लगाया कान्हा !!!
वाह !!!! कितने दिनों से मौन कलम ने अधर खोले , तो लाजवाब सृजन अस्तित्व में आया |सरल ,सहज , सुंदर , सार्थक रचना जो अनायास मन में प्रवेश कर अन्तस् को छू जाती है | जीवन की कडवी सच्चाई और आराध्य के प्रति मन के भाव सहजता से मुखर हुए हैं | सस्नेह शुभकामनाएं प्रिय मीना मन खुश हो गया पढ़कर |दुआ है , भावों की ये प्रांजलता कभी कम ना हो |श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाई |
बहुत बहुत आभार प्रिय रेणु। बहुत उत्साहजनक शब्द हैं आपके। आपको भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
हटाएंबहुत सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंकान्हा का ज्ञान ... गीता द्वारा पूर्ण जग को मिला ... और इसी ज्ञान ने ये ज्ञान सबको बांटा ... बहुत सुन्दर और गारी रचना ...
लाजवाब ... श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई ....
बहुत बहुत आभार ! आपकी इस प्रतिक्रिया से बहुत खुशी हुई है। आपको भी बधाई सर।
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार १४ अगस्त २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत बहुत आभार प्रिय श्वेता। पाँच लिंकों में रचना को पाकर मुझे बहुत खुशी होगी।
हटाएंलाजवाब!
जवाब देंहटाएंसुन्दर। शुभकामनाएं जन्माष्टमी की।
जवाब देंहटाएंशानदार
जवाब देंहटाएंलाजवाब सृजन ।
जवाब देंहटाएंवाह सुन्दर रचना जय श्री कृष्ण
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (20-2-22) को 'तब गुलमोहर खिलता है'(चर्चा अंक-4346)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
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कामिनी सिन्हा
शब्द शब्द मन को छूते... बहुत ही सुंदर हृदयस्पर्शी सृजन।
जवाब देंहटाएंबहुत सारा स्नेह दी।
सादर
बहुत सुन्दर भक्तिपूर्ण रचना !
जवाब देंहटाएंलेकिन अब हर समस्या में कान्हा को पुकारने के स्थान पर स्वयं उसका निवारण करने का यत्न करना होगा.