गुरुवार, 7 मार्च 2019

प्रार्थना

मेरे जीवन का पल-पल
प्रभु तेरा पूजन हो जाए,
श्वास-श्वास में मधुर नाम
भौंरे-सा गुंजन हो जाए।

जब भी नयन खुलें तो देखूँ
तेरी मोहिनी मूरत को,
मेरा मन हो अमराई
तू कोकिल-कूजन हो जाए।

जग में मिले भुजंग अनगिनत
उनके दंशो की क्या गिनती?
वह दुःख भी अच्छा है जिसमें
तेरा सिमरन हो जाए ।

हृदय धरा पर बरसो प्रभुवर
श्यामल मेघों-से रिमझिम,
कृपा दृष्टि की धारा बरसे
जीवन सावन हो जाए।

इतना छ्ल पाया पग-पग
दुनिया का प्रेम भयावह है,
अब तुमसे नाता ना टूटे
ऐसा बंधन हो जाए ।


10 टिप्‍पणियां:

  1. प्रिय मीना बहन -- एक विराम के बाद आपकी भावपूर्ण रचना पढ़कर बहुत अच्छा लग रहा है | आशा है आप अब पहले से बहुत बेहतर महसूस कर रही होंगी | ईश्वर के प्रति बहुत ही श्रद्धा भाव से लिखी गयी अप्रितम प्रार्थना जिसमें से मन की व्यथा छुपाये नहीं छुप रही | ये प्रार्थना आंतरिक शक्ति का भी प्रतीक है --
    जग में मिले भुजंग अनगिनत
    उनके दंशो की क्या गिनती?
    वह दुःख भी अच्छा है जिसमें
    तेरा सिमरन हो जाए ।!!!!
    अनूठे भावों से सजी भक्ति रचना के लिए आपको सस्नेह शुभकामनायें | आप आंतरिक ऊर्जा से भरी रहें यही कामना है |

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंंदर,स्वच्छ भावों से सजी हर पंक्तियाँ..🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत अच्छी प्रार्थना.
    ब्लॉग जगत में पुनरागमन पर अभिनंदन.

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही सुंदर भावों से सुसज्जित रचना, मीना दी।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर कविता।
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
    iwillrocknow.com

    जवाब देंहटाएं
  6. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2019/03/112.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  7. जग में मिले भुजंग अनगिनत
    उनके दंशो की क्या गिनती?
    वह दुःख भी अच्छा है जिसमें
    तेरा सिमरन हो जाए ।

    बहुत सुंदर ,भाव विभोर करती प्रार्थना ,सादर स्नेह मीना जी

    जवाब देंहटाएं
  8. बेहद सरल सहज और सारगर्भित अभिव्यक्ति दी...जीवन के उतार चढ़ाव में आत्मबल सदैव उच्च रहे और सकारात्मकता का अनवरत प्रवाह बना रहे यही कामना है।

    जवाब देंहटाएं
  9. आप सभी का तहेदिल से धन्यवाद सराहना के लिए।

    जवाब देंहटाएं