रविवार, 24 मार्च 2019

दो नयन अपनी भाषा में जो कह गए....

नेत्र भर आए और होंठ हँसते रहे,
प्रेम अभिनय से तुमको,कहाँ छ्ल सका ?
दो नयन अपनी भाषा में जो कह गए
वो किसी छंद में कोई कब लिख सका ?

प्रेम में कोई अश्रु गिरा आँख से,
और हथेली में उसको सहेजा गया।
उसको तोला गया मोतियों से मगर
मोल उसका अभी तक कहाँ हो सका ?
ना तो तुम दे सके, ना ही मैं ले सकी
प्रेम दुनिया की वस्तु, कहाँ बन सका ?
दो नयन अपनी भाषा में जो कह गए
वो किसी छंद में कोई कब लिख सका ?

गीत के सुर सजे, भाव नूपुर बजे,
किंतु मन में ना झंकार कोई उठी।
चेतना प्राण से, वेदना गान से,
प्रार्थना ध्यान से, कब अलग हो सकी ?
लाख पर्वत खड़े मार्ग को रोकने,
प्रेम सरिता का बहना कहाँ थम सका ?
दो नयन अपनी भाषा में जो कह गए
वो किसी छंद में कोई कब लिख सका ?

हो विदा की घड़ी में भी जिसका स्मरण
कब उसे काल भी, है अलग कर सका ?
था विरोधों का स्वर जब मुखर हो चला,
प्रेम सोने सा तपकर, निखरकर उठा।
चिर प्रतीक्षा में मीरा की भक्ति था वह,
प्रेम राधा का अभिमान कब बन सका ? 
दो नयन अपनी भाषा में जो कह गए
वो किसी छंद में कोई कब लिख सका ?

44 टिप्‍पणियां:

  1. मुखड़ा तो बुलंद है.
    भावों को बड़ी सटीक ढंग से प्रस्तुत किया गया है.
    अंतर्मन को छूती हुई रचना.
    बधाई.

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  2. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 24/03/2019 की बुलेटिन, " नेगेटिव और पॉज़िटिव राजनीति - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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    1. सादर आभार बुलेटिन में शामिल करने के लिए

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  3. चिर प्रतीक्षा में मीरा की भक्ति था वह,
    प्रेम राधा का अभिमान कब बन सका ?
    दो नयन अपनी भाषा में जो कह गए
    वो किसी छंद में कोई कब लिख सका ?
    प्रिय मीना बहन -- अविरल आत्मीयता भाव से भरी सुंदर भावपूर्ण रचना .जिसकी सराहना के शब्द नहीं मेरे पास | बहुत दिनों की ख़ामोशी से एक हीरक रचना सृजित हुई है जो हर तरह से प्रशंसनीय और मर्म को छूने वाली है |सस्नेह शुभकामनायें और हार्दिक अभिनन्दन | एकांतवास के बाद आपका पुनः स्वागत है |

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    1. आपके शब्दों से कितना स्नेह टपकता है !!! मन तृप्त हो गया। धन्यवाद रेणु बहन। स्नेह।

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  4. वाह...।। मीना जी बहुत ही सुंदर और मन को छू लेने वाली रचना है।" दो नयन अपनी भाषा में जो कह गए वो किसी छंद में कोई कब लिख सका।" प्रेम का एहसास कराती यह रचना निस्वार्थ प्रेम और विश्वास को दर्शाती है... आज आपकी कलम बहुत खुश होगी ☺️ लिखती रहा करिए ..!!

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    1. ये मेरे ही नाम से किसने कमेंट किया है, समझ नहीं पा रही हूँ। आपका सादर आभार। कृपया अपना नाम बताएँ।

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    2. Namaste Meena ji yh Mai hu Isha..mera Phone hang ho rha tha isliye apke Naam se comment chla gya,☺️☺️

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  5. दो नयन अपनी भाषा में जो कह गए
    वो किसी छंद में कोई कब लिख सका ?
    बहुत बढ़िया, मीना दी।

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  6. अगले सप्ताह का विषय आपकी रचना से
    सादर

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    1. सादर आभार उषा किरण जी। ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

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  10. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरूवार 28 मार्च 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय रवींद्र जी। सादर।

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  11. सच में आपकी इतनी हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति पर क्या सराहना लिखे समझ नहीं पा रहे हैं बहुत दिन के बाद.आपकी रचना पढ़कर बहुत अच्छा लग रहा दी..
    मन छूती रचना...बहुत अच्छी लगी👌👌

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  12. बहुत ख़ूबसूरत मीनाजी. दिल में बहुत तड़प और बहुत दर्द का एहसास होते हुए भी इश्क़ का जूनून थमना तो जानता ही नहीं है. मीरा से बहुत पहले सूफ़ी-साधिका राबिया, दीवानगी की हदें पार कर इश्क़-ए-हक़ीक़ी तक पहुँची थी. लेकिन इस एहसास को कोई राधा, कोई राबिया या कोई मीरा लब्ज़ों में बयान नहीं कर सकती.

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    1. जी सर, आपके जितना ना तो ज्ञान है, ना अनुभव। आपकी ब्लॉग पर उपस्थिति उत्साहित कर देती है। बहुत बहुत धन्यवाद।

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  13. ना तो तुम दे सके, ना ही मैं ले सकी
    प्रेम दुनिया की वस्तु, कहाँ बन सका ?
    वाह!!!!
    बहुत ही अद्भुत... अप्रतिम... एवं लाजवाब हमेशा की तरह...

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  14. एक बेहतरीन पोस्ट लिखने के लिए धन्यवाद Swipe Lock Disabled Problem Fix

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  15. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    १ अप्रैल २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  16. अद्भुत मीना जी निशब्द हूं मैं आपकी इस अभिव्यक्ति पर।
    अनुपम।

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  17. अति सुन्दर मीना जी ! रचना का हर शब्द हर भाव मन पर अमिट छाप छोड़ता हुआ अपना आधिपत्य कर लेता है ! हार्दिक बधाई स्वीकार करें !

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  18. आदरणीया साधनाजी, कुसुमजी, अनिताजी, प्रिय श्वेता, आप सबकी हृदय से आभारी हूँ।

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  19. प्रिय मीना ढूढ़कर आज इस रचना तक पहुँच जो रूहानी एहसास जगा वह शब्दों में लिखा नहीं जाता | किन्ही बहुत विशेष पलों में रची जाती हैं ऐसी अनुभ्तियों की गाथा | बहुत बहुत शुभकामनाएं और स्नेह | यूँ ही आगे बढती रहो |

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  20. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (20-2-22) को 'तब गुलमोहर खिलता है'(चर्चा अंक-4346)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

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  21. शब्दों में सादगी भावों की अथा गहराई।

    दो नयन अपनी भाषा में जो कह गए
    वो किसी छंद में कोई कब लिख सका ?.. वाह!
    सराहनीय सृजन दी।
    सादर

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  22. मीना जी, आपकी कविताओं का भाव-सौन्दर्य मनोहारी है.

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