शुक्रवार, 27 अप्रैल 2018

अस्तित्व

जैसे मंदिर और दीप
जैसे मोती और सीप,
जैसे चंद्र और चकोर
जैसे मेघ और मोर,
जैसे चातक और सावन
जैसे हृदय और धड़कन,
जैसे सुगंध और सुमन
जैसे प्राण और तन.....

अनगिनत जन्मों से जुड़ा है
मेरा अस्तित्व तुम्हारे साथ,
कुछ यूँ....

जैसे साँसों से जीवन
जैसे वसंत से फागुन,
जैसे सूरज से भोर
जैसे पतंग से डोर,
जैसे साज से रागिनी
जैसे मेघ से दामिनी,
जैसे माँझी से नैया
जैसे गीत से गवैया,
जैसे कान्हा से वृंदा
जैसे चांदनी से चंदा....

अनगिनत जन्मों से बँधा है
मेरा जीवन तुम्हारे साथ,
कुछ यूँ.....

जैसे चंदन में शीतलता
जैसे पुष्प में कोमलता,
जैसे मधु में मिठास
जैसे ज्योति में उजास,
जैसे घुँघरू में खनक
जैसे तारों में चमक,
जैसे कस्तूरी में सुवास
जैसे तन में हो श्वास,
जैसे वीणा में झंकार
जैसे उपवन में बहार....

अनगिनत जन्मों से रहा है
मेरे संग तुम्हारा साथ,
कुछ यूँ......








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