रविवार, 15 अप्रैल 2018

कैसे रोक पाओगे ?

जब कोई तितली, हौले से आकर,
तुम्हारे लगाए फूलों को अपने
मखमली पंखों से सहलाकर,
कहे - 'प्यार'.....
तो उसे तुरंत उड़ा देना !!!

जब कोई चिड़िया, मस्ती में भरकर
तुम्हारी खिड़की में आकर,
चहचहाए, तुम्हारी तरफ देखती हुई
कहे - 'प्यार'.....
तो उसे तुरंत भगा देना !!!

जब चाँद, चाँदनी की दूधिया रोशनी से
आलिंगनबद्ध हो खिलखिलाए,
तुम्हारी छत पर उतरकर,
कहे - 'प्यार'....
तो अपने आँख-कान बंद कर लेना !!!

जब नीर भरी कोई बदली,
सावन से पहले ही,
बेमौसम बरस पड़े तुम पर,
कहे - 'प्यार'.....
तो जल्दी से घर में बंद हो जाना !!!

बासंती हवाओं और आम्रगंध से
बौराई कोई कोयल,
जब भरी दोपहरी में पुकार उठे,
कहे - 'प्यार'.....
तो उसे भी डाँट देना !!!

पर जब हवा का झोंका
फूलों का, तितली का, चंदा का,
कोयल का, बदली का और
मेरा.... संदेशा लिए आएगा,
तुम्हारे चारों ओर डोलेगा,
आगे पीछे घूमेगा, सारे घर में गूँजेगा,
तुम्हे छूकर कहेगा - 'प्यार'
तब उसे कैसे रोक पाओगे ?

किसे पता, वह हवा का झोंका होगा
या तुम्हारी तलाश में भटकती
मेरी रूह !!!!!

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