अंधेर नगरी, चौपट राजा !
टका सेर भाजी, टका सेर खाजा !
राजा पर कोई, अँगुली उठाए,
अँगुली क्या, गर्दन अपनी कटाए !
पंगु व्यवस्था है, अंधा कानून
रोम जले, नीरो बाँसुरी बजाए !
श्वापदों से क्रूरतम, अब मनुष्य हो गया,
सत्य और अहिंसा की, चिताएँ सजा जा ।।
अंधेर नगरी, चौपट राजा !
रामजी के देश में, रावणों का राज
बर्बरता, निष्ठुरता, दमन का रिवाज !
मुँह पर बाँधो पट्टी, बोलो इशारों में
गंध लहू की पसरी, गलियों बाजारों में !
नीच,बोल बोल रहे, ठोंक ठोंक छाती !
लज्जा का चीरहरण, तू भी करवा जा ।।
अंधेर नगरी, चौपट राजा !
आजादी की दुल्हन ने, फाँसी लगाई
धर्म औ' सियासत की, हो गई सगाई !
बेबाक दीवानों को, अक्ल नहीं आई
बोलने की कीमत, रक्त से चुकाई !
झूठी संवेदना की,चाह नहीं रूहों को,
फिर भी श्रद्धांजलि की, रस्म तो निभा जा ।।
अंधेर नगरी, चौपट राजा !
टका सेर भाजी, टका सेर खाजा !
राजा पर कोई, अँगुली उठाए,
अँगुली क्या, गर्दन अपनी कटाए !
पंगु व्यवस्था है, अंधा कानून
रोम जले, नीरो बाँसुरी बजाए !
श्वापदों से क्रूरतम, अब मनुष्य हो गया,
सत्य और अहिंसा की, चिताएँ सजा जा ।।
अंधेर नगरी, चौपट राजा !
रामजी के देश में, रावणों का राज
बर्बरता, निष्ठुरता, दमन का रिवाज !
मुँह पर बाँधो पट्टी, बोलो इशारों में
गंध लहू की पसरी, गलियों बाजारों में !
नीच,बोल बोल रहे, ठोंक ठोंक छाती !
लज्जा का चीरहरण, तू भी करवा जा ।।
अंधेर नगरी, चौपट राजा !
आजादी की दुल्हन ने, फाँसी लगाई
धर्म औ' सियासत की, हो गई सगाई !
बेबाक दीवानों को, अक्ल नहीं आई
बोलने की कीमत, रक्त से चुकाई !
झूठी संवेदना की,चाह नहीं रूहों को,
फिर भी श्रद्धांजलि की, रस्म तो निभा जा ।।
अंधेर नगरी, चौपट राजा !
हालातों का जीवंत चित्रण किया है आपने सही शब्दों में सही समय पर।
जवाब देंहटाएंआभार।
आज की कड़वी सच्चाई व्यक्त करती सुंदर रचना, मीना दी।
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