गुरुवार, 7 सितंबर 2017

चलो, खिल्ली उड़ाएँ

चलो हम खिल्ली उड़ाएँ,
लोग जो अच्छे हैं,सच्चे हैं,
सरल हैं, सीधे हैं,
देश की जो सोचते हैं,
भाईचारा पोसते हैं,
उन्हें धमकाएँ, डराएँ !!!
हम मजाक उनका बनाएँ !!!

वे युवक,जो नहीं करते
नकल पश्चिम सभ्यता की,
वे युवतियाँ, जो नहीं करती
तमाशा असभ्यता का,
आज भी रखें बड़ों का मान,
मर्यादा रखें छोटों की जो !
चलो उनको बरगलाएँ
उनकी हम खिल्ली उड़ाएँ !!!

जो ना लें रिश्वत, नहीं हों
लिप्त भ्रष्टाचार में,
जो करें विश्वास,
नेकी, दया, सदाचार में.
खरी सच्ची बात कह दें,
बिन डरे और बिन झुके
दिन को दिन और
रात को जो रात कह दें
मार्ग से उनको हटाएँ !!!

चलो, हम खिल्ली उड़ाएँ !!!



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