सोमवार, 31 अक्तूबर 2016

पापा,आपने कहा था....



पापा, आपने कहा था....
पापा,
आपने कहा था ,
बिटिया तो चिड़िया होती है...

उड़ जाती है एक दिन,
अपना नया घर बसाने के लिए ।
छोड़ जाना होता है उसे,
अपनों को ।

पापा,
आपने शायद
सच नहीं कहा था...

चिड़िया तो चहचहाती है,
मनचाहे गीत सुनाती है ।
बिना किसी अनुमति के गाती है,
कभी भी, कहीं भी ।

पापा,
आपने सच क्यों नहीं कहा..?

मैं यदि चिड़िया होती,
तो अभी उड़ आती आपके पास ।
यहाँ गाना-चहचहाना तो दूर,
हल्की सी चूँ-चूँ पर भी,
कितनी हैं बंदिशें ।

पापा,
आपने शायद ऐसा
इसीलिए कहा होगा कि
भेज सकें मुझे खुद से दूर...

समझाया होगा अपने ही मन को,
मुझे समझाने के बहाने ।
चिड़िया तो खुश ही रहती है,
मेरी बिटिया भी खुश रहेगी ।
यही ना ?

पापा,
आपकी चिड़िया खुश है ।
पापा की चिड़िया
खुश है.
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3 टिप्‍पणियां:

  1. अनुभव के उद्गार कहती भावुक रचना.

    साझा करने हेतु आभार,

    अयंगर.

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  2. बेहद हृदयस्पर्शी..., जीवन्त हो उठे वे पल जब पापा अपनी लाडली से बात कर रहे हैं और एक दिन उनकी बिटिया बड़ी हो कर सांसारिकता का अनुभव करती है ।

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