गुरुवार, 27 अक्तूबर 2016

दीपावली


दीपावली
आसमाँ ने तारों के
दीप जलाए हैं,
धरती पर भी मानो
सितारे जगमगाए हैं ।

दीपावली की रात
कितनी अनोखी है,
आसमाँ और धरती
दोनों मुस्कुराए हैं ।

नन्हें - नन्हें माटी के
दीप हुए रोशन,
मानो प्रकाशदूत
धरती पर आए हैं ।

दीपकों की सेना है
शस्त्र है उजाले का,
इनके आगे अँधियारा
टिक नहीं पाए है ।

घर हुए जगमग
रोशन हुए गलियारे,
मन भी उमंगों की
रांगोली सजाए है ।

मीठे बोलों से मीठा
कोई उपहार नहीं,
पर्व यह प्रकाश का
हमको सिखाए है ।
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( चित्र गूगल से साभार )

10 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तम.लिखते रहें...बढ़ते रहें.


    अयंगर

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  2. उत्तम.लिखते रहें...बढ़ते रहें.


    अयंगर

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  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं

  4. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    २१ अक्टूबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।,

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  5. सुंदर दृश्य चित्ररण करती सकारात्मक उर्जा प्रसारित करती रचना।
    दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  6. मीठे बोलों से मीठा
    कोई उपहार नहीं,
    पर्व यह प्रकाश का
    हमको सिखाए है ।

    बहुत खूब

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  7. वाह्ह्ह्ह!!!! सुनदर कल्पना।

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  8. वाह!!!
    लाजवाब...
    मीठे बोलों से मीठा
    कोई उपहार नहीं,
    पर्व यह प्रकाश का
    हमको सिखाए है ।

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