एक पल का,
जब बदल जाती है
हाँ, सिर्फ एक पल का
समय लगता है,
भावना का रुपांतरण
वेदना में होने के लिए !
और वही पल साक्षी होता है
मनुष्य में ईश्वर के अंश का।
वेदना के अभाव में
ईश्वर के दूत भटकते हैं धरती पर,
खोजते हैं अश्रुओं के मोती
जो नयनों की सीपियों में पलते
और सिर्फ इसी लोक में मिलते हैं।
जब बदल जाती है
वेदना संवेदना में
तब स्वर्ग से होती है पुष्पवर्षा
झाँकते हैं देवगण
मनुष्यों के हृदय से !
संवेदना के तुषार बिंदुओं में
भीगने आती हैं अप्सराएँ !
ठीक उस क्षण, जिस क्षण
संवेदना हो जाती है प्रेम
उसी क्षण हो जाती है
यह धरती स्वर्गसम !!!
ठीक उस क्षण, जिस क्षण
जवाब देंहटाएंसंवेदना हो जाती है प्रेम
उसी क्षण हो जाती है
यह धरती स्वर्गसम !!!
बिल्कुल सही कहा मीना दी। जब संवेदना प्रेम बन जाती हैं। तब भी स्वर्ग का आनंद मिलता हैं।
सादर आभार
हटाएंजब बदल जाती है
जवाब देंहटाएंवेदना संवेदना में
तब स्वर्ग से होती है पुष्पवर्षा
झाँकते हैं देवगण
मनुष्यों के हृदय से !
...बिलकुल सच... बहुत सुन्दर और सारगर्भित अभिव्यक्ति...
सादर आभार।
हटाएंसंवेदना के तुषार बिंदुओं में
जवाब देंहटाएंभीगने आती हैं अप्सराएँ !
ठीक उस क्षण, जिस क्षण
संवेदना हो जाती है प्रेम
उसी क्षण हो जाती है
यह धरती स्वर्गसम !
बहुत ही मर्मस्पर्शी सृजन प्रिय मीना बहन | वेदना से ही सभी मानवीय गुणों का जन्म होता है जो मानवता के लिए वरदान बनते हैं | सुंदर रचना के लिए हार्दिक शुभकामनायें |
सस्नेह आभार।
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
२९ अप्रैल २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सस्नेह धन्यवाद।
हटाएंआपका शब्द कल्प अति सुंदर होता है.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता.
वाह वेदना को संवेदनाओं का सुंदर बाना पहना सार्थक कर दिया आपने वेदना को वेदना जब उधर्व हो शिखर पर पहुंचती है वहीं से कहीं से आत्म मंथन शुरू हो आत्मा से तार जोड़ लेती है।
जवाब देंहटाएंअहिल्या जैसे।
अप्रतिम अद्भुत अद्वितीय।
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंइंसान है तो मन में संवेदना का भाव होना जरूरी है ... नहीं तो इंसान और इंसानियत ख़त्म जो जायेगी और जानवर और इंसान में क्या फर्क रहेगा ...
जवाब देंहटाएंमन के किसी अंश में छुपी वेदना ही बनाती है उसे इश्वर के करीब ...
बहुत सुन्दर सन्देश इस रचना में ...
सुंंदर सारगर्भित रचना।
जवाब देंहटाएंसुंदर लेखन । आपकी उत्कृष्ट लेखन शैली का जादू है यह। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया ।
जवाब देंहटाएंसंवेदना हो जाती है प्रेम
जवाब देंहटाएंउसी क्षण हो जाती है
यह धरती स्वर्गसम !
.....बहुत ही मर्मस्पर्शी
आप सभी की हमेशा आभारी रहूँगी इस साथ और स्नेह के लिए...
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