(चित्र मेरी मोबाइल गैलरी से,
मेरे प्रकृतिप्रेमी बेटे अतुल का है)
और किसानों को हरियाले खेत मुबारक !
अल्हड़ बचपन को कागज की नाव मुबारक !
और जवानी को बारिश का चाव मुबारक !
आसमान को इंद्रधनुष के रंग मुबारक !
झरनों को झर-झर झरने का ढंग मुबारक !
वृक्ष-लताओं को पानी का खेल मुबारक !
बहती नदिया को सागर से मेल मुबारक !
माटी को फिर नए सृजन का गीत मुबारक !
सूनी अँखियों को सपनों का मीत मुबारक !
मुबारक
जवाब देंहटाएंमाटी को फिर नए सृजन का गीत मुबारक !
जवाब देंहटाएंसूनी अँखियों को सपनों का मीत मुबारक
आपको भी सावन की रिमझिम फुहार मुबारक....
हमेशा की तरह लाजबाव,सादर नमस्कार मीना जी🙏
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (09-07-2023) को "आया है चौमास" (चर्चा अंक 4671) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय शास्त्रीजी।
हटाएंबहुत खूबसूरत पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंअद्भुत…, वर्षा ऋतु का मनोहारी चित्रण ॥
जवाब देंहटाएंबरखा के मौसम का सुन्दर चित्रण किया है ... बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंआप सभी का हृदयपूर्वक हार्दिक धन्यवाद जो आपने अपना कीमती समय निकालकर रचना को पढ़ा और सराहा भी....
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