श्वास - श्वास, दिवस - मास रीतते हैं हम,
हाँ, रीतते हैं हम !
साल नहीं बीतता है, बीतते हैं हम !
बरखा में बूँद - बूँद कर, टपक रही है उम्र,
चुभती हवा में शिशिर की, सिहर रही है उम्र ।
फिर बसंत आगम पर रीझते हैं हम,
साल नहीं बीतता है, बीतते हैं हम !
जीना तो कहीं खो गया पाने की होड़ में,
जीवन था एक, बीत गया जोड़-तोड़ मे ।
अब भी कहाँ खुशियों का गणित सीखते हैं हम,
साल नहीं बीतता है, बीतते हैं हम !
कसमों से भरी टोकरी, वादों का पिटारा,
है अनुभवों की पोटली , यादों का पसारा ।
चंदन की तरह जग के लिए झीजते हैं हम !
साल नहीं बीतता है, बीतते हैं हम !
गिनते हैं लोग, उम्र के कितने बरस जिए,
गिनते नहीं, उधड़े हुए कितने जखम सिए ।
प्रेम की बरसात में, क्या भीगते हैं हम ?
साल नहीं बीतता है, बीतते हैं हम !
बहुत उम्दा रचना ! नव वर्ष मंगलमय हो !
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (०१-०१-२०२३) को 'नूतन का अभिनन्दन' (चर्चा अंक-४६३२) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
वाह, बहुत ही सुन्दर गीत. सचमुच हम ही बीत रहे हैं लगातार.
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना सोमवार 2 जनवरी 2023 को
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
गिनते हैं लोग, उम्र के कितने बरस जिए,
जवाब देंहटाएंगिनते नहीं, उधड़े हुए कितने जखम सिए ।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति! नव वर्ष की शुभकामनायें!--ब्रजेन्द्र नाथ
गिनते हैं लोग, उम्र के कितने बरस जिए,
जवाब देंहटाएंगिनते नहीं, उधड़े हुए कितने जखम सिए ।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
नव वर्ष की शुभकामनायें!--ब्रजेन्द्र नाथ
सच ही कहा आपने
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण सुंदर रचना!!
जवाब देंहटाएंवाह!मीना जी ,बहुत खूबसूरत सृजन। नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।सही कहा...बीत हम रहे हैं !
जवाब देंहटाएंआपको व स्नेहीजनो को ,
जवाब देंहटाएंनव आंग्ल/प्रचलित नव वर्ष २०२३ की,
बहुत बहुत शुभकामनाएं !
जय श्री कृष्ण जी !
जय भारत ! जय भारती !!
अरे गज़्ज़ब...क्या लिखा है दी आपने।
जवाब देंहटाएंलाज़वाब जीवन दर्शन
हर बंध में कितने सुंदर अर्थ पिरोए हैं दी👌
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कसमों से भरी टोकरी, वादों का पिटारा,
है अनुभवों की पोटली , यादों का पसारा ।
चंदन की तरह जग के लिए झीजते हैं हम !
साल नहीं बीतता है, बीतते हैं हम !
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आपके जीवन में आने वाला हर क्षण मंगलमय हो दी।
सप्रेम प्रणाम दी
सादर।
अरे गज़्ज़ब...क्या लिखा है दी आपने।
जवाब देंहटाएंलाज़वाब जीवन दर्शन
हर बंध में कितने सुंदर अर्थ पिरोए हैं दी👌
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कसमों से भरी टोकरी, वादों का पिटारा,
है अनुभवों की पोटली , यादों का पसारा ।
चंदन की तरह जग के लिए झीजते हैं हम !
साल नहीं बीतता है, बीतते हैं हम !
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आपके जीवन में आने वाला हर क्षण मंगलमय हो दी।
सप्रेम प्रणाम दी
सादर।
गिनते हैं लोग, उम्र के कितने बरस जिए,
जवाब देंहटाएंगिनते नहीं, उधड़े हुए कितने जखम सिए ।
प्रेम की बरसात में, क्या भीगते हैं हम ?
साल नहीं बीतता है, बीतते हैं हम !
जीवन का गहन अवलोकन । बहुत ही सुंदर और मन को छूता गीत। नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 💐💐
जीना तो कहीं खो गया पाने की होड़ में,
जवाब देंहटाएंजीवन था एक, बीत गया जोड़-तोड़ मे ।
अब भी कहाँ खुशियों का गणित सीखते हैं हम,
वाह!!!!
क्या बात...कमाल का सृजन।
वाकई बीत ही रहे हैं हम ।
बहुत ही लाजवाब 👌👌👏👏👏
साल नहीं बीतता, बीतते हैं हम - वाह! लाजवाब!!!
जवाब देंहटाएंगिनते हैं लोग, उम्र के कितने बरस जिए,
जवाब देंहटाएंगिनते नहीं, उधड़े हुए कितने जखम सिए ।
प्रेम की बरसात में, क्या भीगते हैं हम ?
साल नहीं बीतता है, बीतते हैं हम !
सही कहा आपने मीना जी, बीतता समय है खर्च हम होते हैं। जीवन सही मायने में उसी पल जिया जिस पल प्रेम के दो पल मिले वरना बस वक्त ही तो गुजरा है।
जीवन का गहन चिंतन करना लाजबाव सृजन मीना जी,नव वर्ष आपके जीवन में सुख और शांति लाएं यही कामना करती हूं 🙏
गिनते हैं लोग, उम्र के कितने बरस जिए,
जवाब देंहटाएंगिनते नहीं, उधड़े हुए कितने जखम सिए ।
प्रेम की बरसात में, क्या भीगते हैं हम ?
साल नहीं बीतता है, बीतते हैं हम !////
बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति के रूप में जीवन की विसंगतियाँ उजागर हुई हैं👌👌।सच बीत जाता है समस्त जीवन व्यर्थ की भागदौड़ में।एक अप्राप्य लालसा सदैव पीछा किया करती है पर वो पूरी कभी नहीं होती।
नववर्ष तुम्हारे लिये शुभ हो मंगलमय हो।हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🙏🌺🌺🌹🌹
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ... वाह मीना जी अद्भुत लिखा...शानदार
जवाब देंहटाएं'गिनते हैं लोग, उम्र के कितने बरस जिए,
जवाब देंहटाएंगिनते नहीं, उधड़े हुए कितने जखम सिए ।
प्रेम की बरसात में, क्या भीगते हैं हम ?
साल नहीं बीतता है, बीतते हैं हम!'... कोई इतना सुन्दर कैसे लिख सकता है? अद्भुत यह पंक्तियाँ और अद्भुत ही रचना है मीना जी!
सत्य है हम बीतते हैं ... लम्हा लम्हा कम होते हैं ... घटते हैं ... साल तो आगे बढता है ...
जवाब देंहटाएंजीवन दी सच्चाई बयान कर दिया आपने।
जवाब देंहटाएंआप सभी का हृदयपूर्वक हार्दिक धन्यवाद जो आपने अपना कीमती समय निकालकर रचना को पढ़ा और सराहा भी....
जवाब देंहटाएंमीना जी, चंद पंक्तियों में बड़े पते की और बड़ी गहरी बात कह दी आपने.
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