किसके लिलार लिखा,
जाति-पाँति, कुल, गोत्र,
किसके लिलार लिखा,
साधु है कि चोर है ?
देखकर चरित्र, बाँधो
मित्रता की डोर, यहाँ
झूठ का, दिखावे का,
छलावे का ही दौर है !!!
यदि पड़ जाए दरार,
होता आईना बेकार,
बिना शील के श्रृंगार,
कहो,कौनसे है काम का ?
कैसा प्रेम, कैसा प्यार,
सारा मतलबी व्यवहार,
छुरी बगल में छुपाएँ
और जपें नाम राम का !!!
बहुरुपियों की फौज,
यहाँ करती है मौज !
जैसा मौका,जैसा वक्त,
वैसा रूप धर लेते हैं।
कहे 'मीना' तू सँभल,
ऐसे आग पर ना चल,
यहाँ हंस मरे भूखा,
कागा मोती चुन लेते हैं !!!
जाति-पाँति, कुल, गोत्र,
किसके लिलार लिखा,
साधु है कि चोर है ?
देखकर चरित्र, बाँधो
मित्रता की डोर, यहाँ
झूठ का, दिखावे का,
छलावे का ही दौर है !!!
यदि पड़ जाए दरार,
होता आईना बेकार,
बिना शील के श्रृंगार,
कहो,कौनसे है काम का ?
कैसा प्रेम, कैसा प्यार,
सारा मतलबी व्यवहार,
छुरी बगल में छुपाएँ
और जपें नाम राम का !!!
बहुरुपियों की फौज,
यहाँ करती है मौज !
जैसा मौका,जैसा वक्त,
वैसा रूप धर लेते हैं।
कहे 'मीना' तू सँभल,
ऐसे आग पर ना चल,
यहाँ हंस मरे भूखा,
कागा मोती चुन लेते हैं !!!
वाह वाह दी क्या बात बेहद सराहनीय सृजन।
जवाब देंहटाएंयथार्थ कासजीव चित्रण.
जवाब देंहटाएंबिना शील के श्रृंगार,
जवाब देंहटाएंकहो,कौनसे है काम का ?
कैसा प्रेम, कैसा प्यार,
सारा मतलबी व्यवहार,//
बहुत सुंदर प्रिय मीना , सच में दुनिया ने छद्म के इतने आवरण ओढें है कि असली -नकली का भेद जानना दुष्कर हो गया है | सतर्कता ही अंतिम विकल्प है | यथार्थ को आइना दिखाती रचना के लिए हार्दिक शुभकामनाएं|
बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंसमाज को आइना दिखाती सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंयदि पड़ जाए दरार,
जवाब देंहटाएंहोता आईना बेकार,
बिना शील के श्रृंगार,
कहो,कौनसे है काम का ?
कैसा प्रेम, कैसा प्यार,
सारा मतलबी व्यवहार,
छुरी बगल में छुपाएँ
और जपें नाम राम का !!
घोर कलयुगी सच उकेर दिया आपने...
लाजवाब सृजन।