एक दीप, मन के मंदिर में,
कटुता द्वेष मिटाने को !
एक दीप, घर के मंदिर में
भक्ति सुधारस पाने को !
एक दीप, तुलसी चौरे पर
कटुता द्वेष मिटाने को !
एक दीप, घर के मंदिर में
भक्ति सुधारस पाने को !
एक दीप, तुलसी चौरे पर
वृंदा सी शुचिता पाने को !
एक दीप, अंधियारे पथ पर
भटके राही घर लाने को !
दीपक एक, स्नेह का जागे
वंचित आत्माओं की खातिर !
जागे दीपक, सजग सत्य का
टूटी आस्थाओं की खातिर !
एक दीप, घर की देहरी पर,
खुशियों का स्वागत करने को !
एक दीप, मन की देहरी पर,
अंतर्बाह्य तिमिर हरने को !
दीप प्रेम का रहे प्रज्ज्वलित,
जाने कब प्रियतम आ जाएँ !
दो नैनों के दीप निरंतर
करें प्रतीक्षा, जलते जाएँ !
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एक दीप, अंधियारे पथ पर
भटके राही घर लाने को !
दीपक एक, स्नेह का जागे
वंचित आत्माओं की खातिर !
जागे दीपक, सजग सत्य का
टूटी आस्थाओं की खातिर !
एक दीप, घर की देहरी पर,
खुशियों का स्वागत करने को !
एक दीप, मन की देहरी पर,
अंतर्बाह्य तिमिर हरने को !
दीप प्रेम का रहे प्रज्ज्वलित,
जाने कब प्रियतम आ जाएँ !
दो नैनों के दीप निरंतर
करें प्रतीक्षा, जलते जाएँ !
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दीप प्रेम का रहे प्रज्ज्वलित,
जवाब देंहटाएंजाने कब प्रियतम आ जाएँ !
दो नैनों के दीप निरंतर
करें प्रतीक्षा, जलते जाएँ !
अद्भुत और अद्वितीय सृजन मीना जी ! बहुत सुकून मिला आपकी रचना पढ़ कर .. संग्रहणीय रचना ।
आपके अनमोल स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए हृदय से आभार मीनाजी।
हटाएंदीपक एक, स्नेह का जागे
जवाब देंहटाएंवंचित आत्माओं की खातिर !
जागे दीपक, सजग सत्य का
टूटी आस्थाओं की खातिर
बहुत ही प्यारी रचना प्रिय मीना जो दीपक के रूप में उजालों को आमन्त्रण देती है | सच में दीपक का विरोध तो बस अन्धकार ही कर सकता है | आपका ये विचार मन को भा गया सखी | हार्दिक शुभकामनाएं |
बहुत सारा स्नेह और आभार रेणु बहन। आपके शब्द हृदय को खुशी से भर देते हैं।
हटाएंएक दीप, घर की देहरी पर,
जवाब देंहटाएंखुशियों का स्वागत करने को !
एक दीप, मन की देहरी पर,
अंतर्बाह्य तिमिर हरने को !
बहुत ही सुन्दर रचना
मन की देहरी पर तो अखण्ड दिया जले जो अन्तर्बाह्य तिमिर हर सके...
बहुत ही लाजवाब सृजन ।
अविस्मरणीय सृजन प्रिय मीना! दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ❤️❤️
जवाब देंहटाएंअविस्मरणीय सृजन प्रिय मीना! दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ❤️❤️
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