रविवार, 5 मार्च 2017

दूर जाना चाहते हो ?

दूर जाना चाहते हो ?
यूँ परायापन जताकर
क्यूँ रुलाना चाहते हो ?
दूर जाना चाहते हो ?

अभी अभी तो शुरू हुआ है,
साथ चलना, सहप्रवास,
जरा देर पहले ही तो,
दे सहारा, थामा हाथ !
अब छुड़ाना चाहते हो ?
दूर जाना चाहते हो ?

एक विनती मान लेना,
संग चलना उस क्षितिज तक,
देख लूँ नयनों से अपने,
मैं धरा से गगन मिलते...
लेख नियति ने लिखा यह,
क्यों मिटाना चाहते हो ?
दूर जाना चाहते हो ?

साथ मेरा गर ना भाए,
तुम कदम आगे बढ़ाना,
मैं चलूँगी जरा पीछे !
पथप्रदर्शक ही रहो तुम,
पथ मेरा उज्जवल तो होगा !
प्यार की मासूमियत को,
आजमाना चाहते हो ?
दूर जाना चाहते हो ?

यूँ परायापन जताकर,
क्यूँ रुलाना चाहते हो ?

1 टिप्पणी:

  1. अनुराग मन के मासूम प्रश्न और मार्मिक भाब मन को विचलित कर गए प्रिय मीना | लेखनी का ये प्रवाह अमर हो सखी |

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