बुधवार, 1 मार्च 2017

बिखरे सुमन


बिखरे सुमन.

जीवन की बगिया में,
संवेदनाओं के,
बिखरे सुमन !
कुछ हैं खयालों के,
कुछ भावनाओं के, 
बिखरे सुमन ।।

पेड़ों की शाखों से,
उलझी हवाएँ तो,
बरसी जो मौसम की,
पहली घटाएँ तो,
बिखरे सुमन !

जीवन की बगिया में,
बिखरे सुमन।।

उम्मीदें मिलने की,
खुशबू में लिपटे से...
डर है बिछड़ने का,
सहमे से सिमटे से,
बिखरे सुमन !

इक दिल ने दूजे से
की मौन बातें तो,
यादों की बरखा में
भीगी जो आँखें तो,
बिखरे सुमन !

जीवन की बगिया में
बिखरे सुमन ।

दिल उनका बोले,
सुने मेरी धड़कन ,
ये शब्दों के स्पंदन,
किए उनको अर्पण,
तो बिखरे सुमन !

जीवन की बगिया में
बिखरे सुमन।।

1 टिप्पणी:

  1. इक दिल ने दूजे से
    की मौन बातें तो,
    यादों की बरखा में
    भीगी जो आँखें तो,
    बिखरे सुमन !
    क्या बात है !!!!!!!

    जवाब देंहटाएं