सोमवार, 13 मार्च 2017

होली


होली के अवसर पर सारे,
रंगों को मैं ले आऊँ,
और तुम्हारे जीवन में मैं,
उन रंगों को बिखराऊँ...

लाल रंग है गुलमोहर का,
केशरिया पलाश का है,
पीला टेसू, अमलताश का,
नीला रंग आकाश का है...

मोरपंखिया रंग में मेरे,
मनमयूर का नृत्य देखना,
सिंदूरी रंग में घोले हैं,
सूर्योदय - सूर्यास्त देखना...

याद आ रही है अब मुझको,
मेरे बचपन की गुड़िया !
इसीलिए मैं भेज रही हूँ,
रंग गुलाबी की पुड़िया...

भेज रही हूँ हरे रंग में
धरती की सारी हरियाली,
ईश्वर से है यही प्रार्थना,
छाए जीवन में खुशहाली...

प्रेमरंग बिन सब रंग फीके,
रंगों बिन फीकी होली !
कोई खेले या ना खेले,
होली तो होगी, हो ली !!!

11 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर, सरस और रंगीन रचना। शुभकामनाएं।

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  2. अति मनमोहक सरस सुंदर मनभावन सृजन दी।
    भाव सहज मन छू रहे हैं।

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  3. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १८ मार्च २०२२ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  4. होली के अवसर पर सारे,
    रंगों को मैं ले आऊँ,
    और तुम्हारे जीवन में मैं,
    उन रंगों को बिखराऊँ...
    रंगोत्सव की शुभकामनाएं

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  5. प्रेमरंग बिन सब रंग फीके,
    रंगों बिन फीकी होली !
    कोई खेले या ना खेले,
    होली तो होगी, हो ली !!!
    –वाह! बहुत सुन्दर
    शुभकामनाओं के संग बधाई

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  6. भेज रही हूँ हरे रंग में
    धरती की सारी हरियाली,
    ईश्वर से है यही प्रार्थना,
    छाए जीवन में खुशहाली...//
    बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति प्रिय मीना।सब प्रार्थनाएं सभी फूलों के रंग,बचपन के अनमोल लम्हें और मनमयूर की मस्ती यदि मिल जाएँ तभी असली होली है। होली जीवन का उत्सव है।बहुत सुन्दर रचना के लिए बधाई और होली की हार्दिक शुभकामनाएं।❤❤🧡

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  7. प्रीत रंग में रंगी अतिसुंदर अभिव्यक्ति।

    मोरपंखिया रंग में मेरे,
    मनमयूर का नृत्य देखना,
    सिंदूरी रंग में घोले हैं,
    सूर्योदय - सूर्यास्त देखना...वाह!

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  8. सही कहा होली तो हो ली। अब उसकी खुमारी की बारी है। असली गुल खिलाने वाली। सराबोर हुआ मन।

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  9. वाह सुंदर
    अयंगर

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