बुधवार, 2 फ़रवरी 2022

विशेष

 हर उस व्यक्ति के लिए

जो मेरे लिए विशेष रहा,

मैं कभी विशेष ना रही ।

हर एक विशेष प्रसंग पर,

मेरे विशेष लोगों ने 

अहसास कराया था

मुझे मेरे सामान्य होने का !

मेरी नजर में,

मेरा सामान्य होना ही

मेरी विशेषता थी,

पर वह विशेषता लोगों की नजर में

बड़ी सामान्य थी !

कोई विशेष विशेषता होती, तो

मैं भी विशेष होती किसी के लिए....

29 टिप्‍पणियां:

  1. आज के दौर में कोई सामान्य रह पाए ... ये भी तो किसी के बस की बात नहीं आज ... गहरा भाव लिए अच्छी रचना ...

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  2. विशेष से थोड़ी दूरी महसूस होती है और सामान्य अपना जैसा लगता , यानि अपनापन ज्यादा होता । और जिससे अपनापन वो तो विशेष ही होना है 😄😄😄😄 हैं ना ?

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    1. अपनापन होना ही ज्यादा जरूरी है। स्नेहसहित सादर आभार दीदी।

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  3. मेरी नजर में,
    मेरा सामान्य होना ही
    मेरी विशेषता थी,
    बहुत बड़ी बात है अपने आपको सामान्य और दूसरों को विशेष का सम्मान देना । बहुत सुंदर सृजन मीना जी ।

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    1. बहुत साधारण सी अभिव्यक्ति थी, आप सबने इसे अपने अनमोल कमेंट्स देकर कितना विशेष बना दिया मीना जी। सादर सस्नेह आभार !

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  4. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा गुरुवार (03-02-2022 ) को 'मोहक रूप बसन्ती छाया, फिर से अपने खेत में' (चर्चा अंक 4330) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  5. "सामान्य" होना ही सबसे बड़ी विशेषता है क्योंकि इन दिनों normal रहना सबके बस की बात भी नहीं है। आप खुद ही खुद को ख़ास समझे (इतना खास की जिसके हम सब फैन है) किसी और को खुद के आकलन का मौका ही नहीं दे। बहुत ही सरल शब्दों में कितनों के मन की बात कह दी आपने मीना जी, यही तो आप की सबसे बड़ी खासियत है कि आप जो कुछ भी लिखती है उससे हर मन खुद को जुड़ा हुआ पाता है,सादर नमन आपको

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  6. आपकी रचना के शब्द यूं कह रहे जैसे, अपनी ही तो बात है,बस कही आपने । मन में उतरती सरस, सुंदर कृति ।

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  7. मीना जी, सादगी में भी क़यामत का फ़ुसूं होता है.

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  8. कोई विशेष विशेषता होती, तो
    मैं भी विशेष होती किसी के लिए....!
    अक्सर यही होता है जो हमारे लिए विशेष होता है उसके लिए हम विशेष नहीं होते हैं!
    इस रचना के भाव अपने से लगते हैं!ऐसा लगता है जैसे मेरी खुद की ही दासता व्यक्त की गई है!
    अत्यंत मार्मिक और हृदय स्पर्शी रचना

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    1. हाँ, मनीषा। ऐसे भाव मन में आना तो नहीं चाहिए पर आ जाते हैं कभी कभी।
      सस्नेह आभार

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  9. हर कोई विशेष है इस दुनिया में, यहाँ दो पत्ते भी एक जैसे नहीं हैं, किसी की नज़रों में विशेष होने का अर्थ है उसकी ग़ुलामी करने के लिए तैयार हो जाना,

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    1. जी दीदी, आपका कथन बिल्कुल सही है। रचना को सकारात्मक दिशा देने हेतु सादर धन्यवाद।

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  10. हर इंसान के मन के भाव प्रगट करती रचना। मीना दी, कोई हमें विशेष माने इसके लिए हम किसी पर भी जबरदस्ती नहीं कर सकते। लेकिन मुझे लगता है कि जिस दिन हम खुद को खुद की नजरों में विशेष मानने लगेंगे उस दिन हमे दुख नही होगा कि कोई हमे विशेष नही मानता।

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    1. इंसान दूसरों के चेहरे में अपना आईना खोजता है ना ज्योतिजी.... विशेषतः अपनों के चेहरों में।
      सादर धन्यवाद एवं स्नेह।

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  11. वाह!बहुत ही सुंदर सृजन आदरणीय मीना दी।

    मेरी नजर में,

    मेरा सामान्य होना ही

    मेरी विशेषता थी,

    पर वह विशेषता लोगों की नजर में

    बड़ी सामान्य थी !

    कोई विशेष विशेषता होती, तो

    मैं भी विशेष होती किसी के लिए....वाह!

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  12. हम जौहरी बैठे हैं यहां 😃विशेषता देखने के लिए विशेष दृष्टि चाहिए वो हमारे पास है मीना जी और हमारी दृष्टि में आप एक विशेष काव्यकार के साथ विशेष व्यक्तित्व भी हैं।
    सुंदर सृजन।

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    1. आप जैसी स्नेहमयी बहनें मुझे ब्लॉग लेखन के माध्यम से मिली हैं कुसुम दी। इसलिए सबसे पहले हिंदी ब्लॉगिंग का धन्यवाद। 😊 विशेष स्नेहसहित आभार दीदी।

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  13. सहज सरल भाव से परिपूर्ण रचना

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  14. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण प्रस्तुति प्रिय मीना।विशेष होना और विशेष दिखना दो अलग धारणाएं हैं।अस्तु,जिसकी रही भावना जैसी,प्रभु मुरति देखि तिन तैसी!!///

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