ना तो मैं तेरे बागों की चिड़िया,
ना बचपन की गुड़िया रे !
ना मैं मैया, ना मैं बिटिया,
ना मुँहबोली बहना रे !
मैं तेरे गाँव के वन की बुलबुल,
गाऊँ आधी रात रे !
मैं तेरी कुइयाँ का पानी,
बरसूँगी बन बरसात रे !!!
ना तेरे पौधों की कच्ची कली,
ना तेरी लगाई बेल रे !
ना तेरे मंदिर की ज्योति,
ना कोई तुझसे मेल रे !
मैं तो तेरे आँगन की तुलसां,
फूलूँ कातिक मास रे !
मैं तो तेरे फूलों की खुशबू,
कोमल सा आभास रे !!!
ना मैं तेरे, बचपन की साथी,
ना तेरी हमराज रे !
ना मैं गीत तेरी बंसी का,
ना तेरे सुर का साज रे !
ना मैं स्वप्न हूँ, ना ही कल्पना,
मैं तो बस विश्वास रे !
राधा का मैं मौन विरह हूँ
सीता का वनवास रे !!!
नहीं स्वामिनी, ना मैं दासी
कैसी अजब पहेली रे !
ना तुझसे कोई रिश्ता नाता
ना मैं सखी - सहेली रे !!!
ना बचपन की गुड़िया रे !
ना मैं मैया, ना मैं बिटिया,
ना मुँहबोली बहना रे !
मैं तेरे गाँव के वन की बुलबुल,
गाऊँ आधी रात रे !
मैं तेरी कुइयाँ का पानी,
बरसूँगी बन बरसात रे !!!
ना तेरे पौधों की कच्ची कली,
ना तेरी लगाई बेल रे !
ना तेरे मंदिर की ज्योति,
ना कोई तुझसे मेल रे !
मैं तो तेरे आँगन की तुलसां,
फूलूँ कातिक मास रे !
मैं तो तेरे फूलों की खुशबू,
कोमल सा आभास रे !!!
ना मैं तेरे, बचपन की साथी,
ना तेरी हमराज रे !
ना मैं गीत तेरी बंसी का,
ना तेरे सुर का साज रे !
ना मैं स्वप्न हूँ, ना ही कल्पना,
मैं तो बस विश्वास रे !
राधा का मैं मौन विरह हूँ
सीता का वनवास रे !!!
नहीं स्वामिनी, ना मैं दासी
कैसी अजब पहेली रे !
ना तुझसे कोई रिश्ता नाता
ना मैं सखी - सहेली रे !!!