अंजानों की इस बस्ती में,
कोई पहचाना ढूँढ़े दिल !
मंदिर-मंदिर,मस्जिद-मस्जिद,
यूँ रब का ठिकाना ढूँढ़े दिल !
तेरी गलियों में आ पहुँचा है
भटक-भटक कर दीवाना,
अब ज़ब्त नहीं होते आँसू,
रोने का बहाना ढूँढ़े दिल !
जन्मों की बातें रहने दो
कुछ और मुलाकातें दे दो,
इक जन्म में,सातों जन्मों के,
वादों का निभाना ढूँढ़े दिल !
हर शे'र पे आह निकलती थी
हर मिसरे पे बहते थे आँसू,
वो खूने ज़िगर से लिखी हुई,
गज़लों का जमाना ढूँढ़े दिल !
आँखों में नूर मुहब्बत का
साँसों में वफा की खुशबू हो,
इखलास हो लफ्जों में जिसके,
ऐसा दीवाना ढूँढ़े दिल !
कोई पहचाना ढूँढ़े दिल !
मंदिर-मंदिर,मस्जिद-मस्जिद,
यूँ रब का ठिकाना ढूँढ़े दिल !
तेरी गलियों में आ पहुँचा है
भटक-भटक कर दीवाना,
अब ज़ब्त नहीं होते आँसू,
रोने का बहाना ढूँढ़े दिल !
जन्मों की बातें रहने दो
कुछ और मुलाकातें दे दो,
इक जन्म में,सातों जन्मों के,
वादों का निभाना ढूँढ़े दिल !
हर शे'र पे आह निकलती थी
हर मिसरे पे बहते थे आँसू,
वो खूने ज़िगर से लिखी हुई,
गज़लों का जमाना ढूँढ़े दिल !
आँखों में नूर मुहब्बत का
साँसों में वफा की खुशबू हो,
इखलास हो लफ्जों में जिसके,
ऐसा दीवाना ढूँढ़े दिल !
जन्मों की बातें रहने दो
जवाब देंहटाएंकुछ और मुलाकातें दे दो,
इक जन्म में,सातों जन्मों के,
वादों का निभाना ढूँढ़े दिल !
बहुत खूब प्रिय मीना | २०१७ की कविताओं को पढ़ना एक यादगार अनुभव है | आँखें नम हो जाती हैं वो जमाना याद करके |