रहिए जरा सँभलकर
मंजिल है दूर कितनी,
इसकी फिकर न करिए
बस हमसफर राहों के,
चुनिए जरा सँभलकर...
काँटे भी ढूँढते हैं,
नजदीकियों के मौके
फूलों को भी दामन में,
भरिए जरा सँभलकर...
कुछ गलतियों की माफ़ी,
देता नहीं जमाना
नादानियों में गलती,
करिए जरा सँभलकर...
जब साथ हो कोई तो,
उसकी कदर समझिए
ना साथ छूट जाए,
रहिए जरा सँभलकर...
ये कौन सी हैं राहें ,
ले जाएँगी कहाँ पर ?
इन अजनबी राहों पर,
चलिए जरा सँभलकर...
इन मुस्कुराहटों के ,
पीछे है राज़ कोई
मिलिए सभी से लेकिन,
मिलिए जरा सँभलकर...
----------------------------------------
गजब
जवाब देंहटाएंसराहना के लिए शुक्रिया सर । आपकी टिप्पणियों से मेरा उत्साह बढ़ जाता है ।
हटाएं